मुकेश भाटिया, कमोडिटी एक्सपर्ट
कोटा। तिल की नई फसल आने में अभी ढाई माह से भी अधिक का समय बकाया है। जबकि कुल स्टॉक खपत के अनुरूप नहीं है। अतः ग्राहकी निकलने पर कीमतों में 8/10 रुपए किलो की तेजी जल्दी देखने मिल सकती है।
तिल में आयातित मालों का स्टॉक स्टाकिस्टों के साथ साथ कारोबारियों के पास भी पूरी तरह समाप्त हो गया है जबकि देशी माल मुश्किल से एमपी, यूपी को मिलाकर 70-72 हजार बोरी के करीब स्टॉक शेष बचा है। यह माल छतरपुर, महोबा,जयपुर, मिर्जापुर,शहडोल, सिवनी, कटनी आदि मंडियों में है। तिल की मासिक घरेलू खपत सामान्य ग्राहकी निकलने पर कम से कम ढाई लाख बोरी की है।
विगत दो वर्षों से तिल का उत्पादन मुश्किल से साढे तीन-चार लाख टन के करीब ही रह रहा है, जो कभी 8/9 लाख टन के क़रीब होता था। यही कारण है कि हलिंग का माल ऊपर में चालू सीजन के अंतराल ग्वालियर में 125/126 रुपए ऊपर का स्तर देखने के बाद वर्तमान में घटकर काफ़ी दिनों से 111/112 रुपए पर ठहरा हुआ है।
उधर छतरपुर की नई नोगांव लाइन में 95/96 रुपए किलो का व्यापार हो रहा है। तिल में लोकल घरेलू माल में ग्राहकी कमज़ोर रहने से क़ीमतें पिछले काफी दिनों से एक ही दायरे में सिमटकर कर रह गयी है। हालाँकि बीच बीच मे अनुकूल खबरें मिलने से बाज़ार दायरे से बाहर कारोबार करता दिखा है।
ग्वालियर मंडी में बीते काफी दिनों से मिलो के मांग को देखते हुए बंगाल से लाल तिल का व्यापार नियमित अंतराल पर बना रहा,जिससे क़ीमतें 4/5 रुपए कमज़ोर हुई है। देश की अधिकांश मंडियों में नई फसल की आवक का दबाव अक्टूबर के दूसरे/तीसरे सप्ताह के आसपास बनने की उम्मीद है।
सामान्यतः सितम्बर अंत से लेकर अक्टूबर के पहले -दूसरे सप्ताह तक मंडियो में नये माल का श्रीगणेश हो जाता है,लेकिन इस बार मॉनसून के अनियमित रहने से उत्पादक क्षेत्रों में बरसात काफी देर से संभव हो पाई, जिससे बिजाई लगभग 10/12 दिन सभी लाइनों में लेट हुई है। हालाँकि जानकर बिजाई रकबा बढ़ने की बात कर रहे है, लेकिन लाइनों में व्यापारियों से हुई बातचीत कुछ और ही तरह की जानकारी दे रहें है।
बेहतर उत्पादन की उम्मीद
अगर उनकी बात पर नज़र डाली जाएं तिल उत्पादक क्षेत्रों में बारिश से पूर्व की स्थिति बेहतर नही दिख रही थी,हालांकि हाल ही में हुई बारिश से इस स्थिति में बदलाव देखने मिल सकता है, और यदि आगे भी मौसम फ़सल के अनुकूल बना रहा तो यह तय है कि इस वर्ष, बीते वर्षो के मुक़ाबले बेहतर उत्पादन की उम्मीद लगायी जा सकती है।
सरकार ने हाल ही में खरीफ सीजन के लिए तिल का समर्थन मूल्य 236 रुपए बढाकर 6485 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया है, जानकार बिजाई पर इसका भी प्रभाव मानकर चल रहें है।
नई फ़सल के देर से आने की आशंका के साथ साथ मौसम के भी अनुकूल बने रहने के शर्त के साथ ही बेहतर उत्पादन की उम्मीद मजबूत होंगी।
बाजार ज्यादा घटने की उम्मीद नहीं
यही वज़ह है कि नई आवक के शुरुआती दबाव पर भी ज्यादा बाजार घटने की उम्मीद नहीं है। जानकार मानते हैं कि बीते तीन वर्ष लंबे नुकसान के बाद इस बार तेजी भी उसी हिसाब से आई थी, लेकिन इसका लाभ कुछ ही स्टॉकिस्ट ले पाये, क्योंकि तेजी के दिनों में और लाभ की भूख में अधिकतर कारोबारी ऊंचे भाव का माल अपने गले फंसा लिये। हालांकि अब आउटसाइडर व्यापारियों का माल कट गया है।