भारत में टिक टॉक ने बहुत ही कम समय में 20 करोड़ डाउनलोड्स की संख्या पार कर ली है, लेकिन इसी बीच टिक टॉक को कई विवादों का सामना भी करना पड़ा है। कुछ दिन पहले टिक टॉक पर अस्थायी प्रतिबंध भी लगा दिया गया था। वहीं पिछले कुछ दिनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनकी वजह से टिक टॉक एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। हाल ही में टिक टॉक के दो यूजर्स ने अपनी जान दे दी है। हाल ही घटनाओं को देखते हुए कंपनी ने कुछ सुरक्षा टिप्स भी जारी किए हैं। आइए जानें –
ऐज गेट– कम उम्र के उपयोगकर्ताओं को टिक टॉक से बाहर रखने के लिए ऐज गेट की सुविधा है। ऐसे में टिक टॉक पर13 वर्ष और उससे अधिक उम्र के यूजर्स ही अपना अकाउंट बना सकते हैं।
पैरेंटल कंट्रोल- पैरेंटल कंट्रोल की सुविधा में स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट तथा रिस्ट्रिक्टेड मोड दोनों शामिल हैं। एप्लिकेशन में इस सुविधा को डिजिटल वेलबीइंग कहा जाता है। इस सुविधा के जरिए जब माता- पिता अपने बच्चे के फोन पर स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट तथा रिस्ट्रिक्टेड मोड को चालू करते हैं, तब उन्हें एक पासवर्ड सेट करने का अवसर मिलता है। पासवर्ड को जाने बगैर बच्चा प्रतिदिन केवल सीमित समय के लिए वीडियो देख सकता है या फिर केवल फिल्टर की गई सामग्री को देख सकता है।
रिस्ट्रिक्टेड मोड- रिस्ट्रिक्टेड मोड दरअसल अकाउंट की सेटिंग के लिए दिया जाने वाला एक विकल्प है जो कम उम्र के उपयोगकर्ताओं के लिए अनुपयुक्त वीडियो या सामग्रियों को प्रतिबंधित कर देता है। इस सुविधा को एक पासवर्ड के माध्यम से सक्रिय किया जाता है जिसकी वैधता अवधि 30 दिनों की होती है।
स्क्रीन टाइम मैनेजमेंटर- स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट के माध्यम से माता-पिता के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं को 40, 60, 90 या 120 मिनट की समय सीमा निर्धारित करने की सुविधा मिलती है। निर्धारित समय सीमा तक पहुंचने के बाद उपयोगकर्ता को टिक टॉक का उपयोग जारी रखने के लिए पासवर्ड दर्ज करना होगा।
रिस्क वॉर्निंग टैग- खतरनाक वीडियो पर कंपनी रिस्क वॉर्निंग टैग लगाती है। ताकि यूजर्स को उस वीडियो के बारे में जानकारी मिले। इस टैग के साथ उस वीडियो की नकल ना करने की सलाह दी जाती है।