10 साल में बिक चुकी 15 करोड़ की नकली दवाइयां

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कोटा। हाड़ौती में नकली दवाओं का कारोबार खूब फल रहा है. पिछले 10 साल में बिक चुकी 15 करोड़ रुपये की नकली दवा बिक चुकी है  डॉक्टर ने एक हफ्ते या इससे ज्यादा समय तक एंटीबायोटिक्स दवाइयां दी और बेअसर रही। खुद डॉक्टर भी इस स्थिति से हैरान होते और फिर दूसरी तरह की एंटीबायोटिक देते।

इस सारी समस्या की असली जड़ यह थी कि जो दवाइयां आपने खाई, उनमें दवा की बजाय सिर्फ मिट्टी थी। इसी मिट्टी से बनी करीब 15 करोड़ रुपए की दवाइयां पिछले 10 साल में हाड़ौती के दवा बाजार में खपाई जा चुकी। इन नकली दवाइयों की सबसे ज्यादा खपत गांव-गांव में फैले झोलाछाप डॉक्टरों ने की। नीम-हकीमों तक दवा पहुंचाने का काम संभाग के 15 से ज्यादा मेडिकल स्टोर संचालकों ने किया।

पूरा खेल बिना बिल के हुआ, इसलिए अब तक पकड़ में भी नहीं पाए। प्रदेशभर में नकली दवा की सप्लाई कर रही जयपुर की फर्म मै.कमला इंटरप्राइजेज के यहां छापेमारी में ड्रग डिपार्टमेंट को ऐसे सबूत भी मिले हैं। मामला सामने आने के बाद रात को ही जयपुर से अलर्ट नोटिस मिला तो कोटा, झालावाड़ बारां में ड्रग इंस्पेक्टरों ने 4 फर्मों से 9 दवाइयों के सैंपल लिए और 77 हजार रुपए का माल फ्रीज करा दिया। जयपुर की इस फर्म ने हाड़ौती में सबसे ज्यादा नकली दवाओं की सप्लाई की।

इन पर हुई कार्रवाई

कोटा जोन के एडीसी गर्ग ने बताया कि बारां में राजेश फार्मा से 1 इंजेक्शन का नमूना लिया। कोटा में ड्रग इंस्पेक्टर रोहिताश्व नागर ने लाडपुरा स्थित फर्म बीआर खंडेलवाल से खांसी सीरप का सैंपल लिया और 27 हजार का माल फ्रीज कराया। झालावाड़ में डीआई नरेंद्र राठौर ने शांति फार्मा से 2 सैंपल लिए तथा भवानीमंडी में कृष्णा फार्मा से 5 सैंपल लिए और 50 हजार की दवा फ्रीज की। प्रारंभिक तौर पर सामने आया है कि फर्म ने कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ में जिला मुख्यालयों के अलावा छीपाबड़ौद, मनोहरथाना, भवानीमंडी, केशवरायपाटन, तालेड़ा, इटावा जैसे कस्बाई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दवाइयां सप्लाई की। सबसे ज्यादा सप्लाई सिफिग्जिम, एजीथ्रोमाइसिन, सिफिग्जिम के साथ ऑफ्लोक्सासिसन तथा पेंटाप्राजोल के साथ डॉमपेरीडोन कॉम्बिनेशन की हुई। 

कोटा से मिली थी  जानकारी 
जयपुरमें हुई इस कार्रवाई को लेकर सबसे बड़ा इनपुट कोटा से ही दिया गया था। करीब एक माह पहले विभाग को पुख्ता सूचना मिली कि जयपुर से यहां दवा आ रही है और बिना बिल के बेची जा रही है। विभाग ने सिफिग्जिम टैबलेट की 2 स्ट्रिप ली और औषधि नियंत्रक को जयपुर भेजी। औषधि नियंत्रक की टीम ने भी 2 सैंपल कलेक्ट किए। इन टैबलेट्स में कोई साल्ट था ही नहीं, ये सिर्फ चॉक (मिट्टीयुक्त सफेद चूने) की बनी थी। इसके बाद जयपुर में यह बड़ी कार्रवाई प्लान की गई और इसके लिए कोटा से एडीसी देवेंद्र गर्ग, इंस्पेक्टर प्रहलाद मीणा योगेश को भी बुलाया गया।