नई दिल्ली। तेल की बढ़ती कीमतों से मोदी सरकार चिंतित तो है लेकिन हड़बड़ी मे कोई कदम उठाने के मूड में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, नरेन्द्र मोदी शनिवार को आर्थिक परिषद की मीटिंग में इस मसले पर सभी की राय ले सकते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, चिंता के बावजूद पीएम मोदी कोई बड़ा कदम नहीं उठाएंगे। आगे जो भी फैसला होगा वह अधिकारियों द्वारा कई गुणा-भाग करने के बाद लिया जाएगा।
कल्याणकारी योजनाओं पर दांव
दरअसल, आम चुनाव से पहले पीएम मोदी कुछ बड़ी कल्याणकारी योजनाओं की बदौलत बड़ा दांव खेलना चाहते हैं। उन्होंने अपनी सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों से साफ कहा है कि ‘आयुष्मान योजना’ को आक्रामक तरीके से लागू करना है।
इसके लिए फंड की कमी बिल्कुल नहीं होने की बात भी कही है। इसके अलावा सरकार उज्ज्वला योजना, मुफ्त मकान और हर घर बिजली योजना के लिए चुनाव से पहले अतिरिक्त फंड उपलब्ध करा सकती है।
पीएम मोदी ने संकेत दे दिया है कि आम चुनाव में बीजेपी इन योजनाओं को लेकर जाएगी। बीजेपी को उज्जवला योजना का अब तक बड़ा राजनीतिक लाभ मिलता रहा है।
ऐसे में सरकार को लगता है कि अगर पेट्रोल की कीमत को कम करने की दिशा में अगर टैक्स को कम किया गया तो इससे सरकारी राजस्व की हानि होगी और उसका सीधा असर इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ सकता है। सरकार ने साफ संकेत दिया है कि इस कीमत पर तेल के दाम बिल्कुल कम नहीं किए जाएंगे।
पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा है कि अगर इन जरूरी योजनाओं के बाद भी टैक्स में कटौती की जितनी भी गुजाइंश रहेगी उसका इस्तेमाल पेट्रोल की कीमत को कम करने में होगा। लेकिन अभी तत्काल इसकी संभावना नहीं है।
काउंटर करें दूसरी चीजों की कीमतों से
सरकार ने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर विपक्ष के आरोप को काउंटर करने के लिए समानांतर नीति भी बनाई है। इसके तहत सरकार आम लोगों के बीच पेट्रोल बनाम दूसरी चीजों की कीमतों को सामने रखकर काउंटर करेगी। इसमें दावा किया जाएगा कि जिन चीजों की कीमत को कम करने की ताकत उनके हाथ में थी उसे सरकार ने कर दिया।
सरकार ने सभी मंत्रियों को पूरे देश में पहले और अब दाल और दूसरे खाद्य पदार्थ की कीमतों की तुलना आक्रामक तरीके से पेश करने को कहा है। इसके लिए सरकार ने पूरे आंकड़े जुटाए हैं और सभी मंत्रियों के अलावा सीनियर बीजेपी नेताओं को उन आंकड़ों के साथ पब्लिक और मीडिया के बीच जाने को कहा है।