बेहतर मॉनसून से इस बार जिंसों की पैदावार बढ़ने के आसार

0
828

नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देश के मध्य और उत्तरी हिस्सों में देरी से ही सही मगर सुधरने के संकेत दिखा रहा है। इससे सरकारी अधिकारी 2018-19 में खरीफ फसलों के अच्छे उत्पादन का अनुमान जता रहे हैं। हालांकि ऐसा होने से फसलों की कीमतें लुढ़क सकती हैं, जिससे किसानों की आय पर असर पड़ेगा।

सितंबर के इस खत्म हुए सप्ताह में बारिश सामान्य से करीब 18 फीसदी कम रही। लेकिन यह पिछले कुछ सप्ताह की तुलना में बेहतर रही। पिछले कुछ सप्ताह में बारिश सामान्य से 25 फीसदी से अधिक कम रही है।

आंकड़े दर्शाते हैं कि देश के 662 जिलों में से जिनकी बारिश का आकलन 1 जून से 5 सितंबर तक किया गया है, उनमें से 64 जिलों में मॉनसून सामान्य और 36 फीसदी में कम रहा। मौसम अधिकारियों का कहना है कि जिन जिलों में बारिश सामान्य से कम रही है, उनमें भी इसकी वजह मॉनसून सीजन की शुरुआत में कम बारिश होना रही है।

गुरुवार को कटाई के बाद फसलों का प्रबंधन करने वाली निजी कंपनी नैशनल कॉलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (एनसीएमएल) ने 2018-19 में खरीफ फसलों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में कुल खाद्यान्न उत्पादन को घटाकर 13.67 करोड़ टन कर दिया, जो उसके पिछले कुछ महीने पहले जारी अनुमान 13.77 करोड़ टन से थोड़ा कम है। यह पिछले साल 14.07 करोड़ टन के रिकॉर्ड उत्पादन से महज 3 फीसदी कम है।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बारिश में सुधार से खरीफ फसलों की बुआई और उसके अंतिम उत्पादन पर असर को लेकर चिंताएं खत्म हो गई हैं। अब हमें 2018-19 में खरीफ के भारी उत्पादन की उम्मीद है।’ उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों के जो अनुमान आ रहे हैं, वे सभी शुरुआती हैं और अंतिम विश्लेषण में उत्पादन अच्छा रहेगा।

अधिकारी ने कहा, ‘2017-18 में खरीफ का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था, इसलिए उत्पादन में मामूली गिरावट से कोई असर नहीं पड़़ेगा।’ देश में 7 सितंबर तक करीब 10.41 करोड़ हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई है।

यह पिछले साल इस समय तक के रकबे से करीब 0.20 फीसदी और खरीफ सीजन के सामान्य रकबे से 2.25 फीसदी अधिक है। सामान्य रकबा पिछले पांच वर्षों का औसत है। पिछले साल के रकबे का स्तर 7 सितंबर को समाप्त सप्ताह में पार हुआ है।

केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अब रकबा सामान्य है और ज्यादातर खरीफ फसलों का उत्पादन भी अच्छा रहने की संभावना है। सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता यह होनी चाहिए कि किसानों को पिछले कुछ महीने पहले घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कैसे मिलेगा।’

सबनवीस की इन चिंताओं की वजह यह है कि पिछले कुछ वर्षों में खाद्यान्न फसलों का भारी उत्पादन हुआ है और मांग में गिरावट आई है। इससे लगभग सभी कृषि जिंसों की कीमतें सरकार द्वारा तय एमएसपी से भी नीचे आ गई हैं। इस साल भी फसलों की कीमतें कम रहने का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ सकता है, जिसने हाल में सुधार के कुछ संकेत दिखाए हैं।

55 लाख टन से अधिक का स्टॉक : सरकार के पास तिलहन और दलहन का पहले ही 55 लाख टन से अधिक का स्टॉक है, जो इन जिंसों की कीमतों में नरमी ला सकता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 7 सितंबर को सामान्य से 7 फीसदी कम था, लेकिन इसकी मुख्य वजह सीजन की शुरुआत में कम बारिश होना है।