बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप पहली बार 5 लाख करोड़ डॉलर के पार

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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 5 लाख करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड बनाने के लिए करीब 17 साल लगे। साल 2007 के मई महीने में इसका मार्केट कैप 1 लाख करोड़ डॉलर के पार गया था।

मुंबई। BSE MCap: आज BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप (mcap) 5 लाख करोड़ डॉलर (5 trillion dollar) यानी 414.46 लाख करोड़ को पार कर गया। ऐसा भारतीय शेयर बाजार में पहली बार देखने को मिला।

दिलचस्प बात यह भी है कि केवल 6 महीनों में शेयर बाजार की वैल्यूएशन 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा बढ़ी है। नवंबर 2023 में BSE का mcap 4 लाख करोड़ डॉलर क्रॉस किया था। मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि अगर वर्तमान सरकार फिर से वापस आती है तो नीतियों में बदलाव कम देखने को मिलेगा, जिसकी वजह से मार्केट में और उछाल आ सकता है। इसकी वजह यह भी है कि विदेशी निवेशक, जो चुनावी अनिश्चितता की वजह से शेयरों की बिकवाली कर रहे हैं, वे फिर से निवेश करेंगे।

बता दें कि लोक सभा चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों में आकर्षक मूल्यांकन के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई महीने की 17 तारीख तक भारतीय शेयर बाजारों से 28,200 करोड़ रुपये की निकासी की है और कुल मिलाकर इनसे इस साल 17 मई तक (यानी जनवरी से 17 मई तक) FPI शेयरों से 26,000 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।

BSE को 5 लाख करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड बनाने के लिए करीब 17 साल लगे। साल 2007 के मई महीने में इसका मार्केट कैप 1 लाख करोड़ डॉलर के पार गया था, फिर करीब 10 साल बाद यानी जुलाई 2017 में यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचा और इसके 4 साल के भीतर ही यानी मई 2021 को यह 3 लाख करोड़ डॉलर के आंकड़े को पार कर गया।

भारतीय शेयर बाजार अब वैल्यूएशन के मामले में पांचवे नंबर पर पहुंच गया है। पहले नंबर पर अमेरिका है। फिर चीन, जापान और हांग कांग के शेयर बाजार हैं। अमेरिकी शेयर बाजार की मार्केट कैप देखें तो यह 55.65 लाख करोड़ डॉलर है। चीन की 9.4 लाख करोड़ डॉलर, जापान की 6.42 लाख करोडॉ डॉलर और हांग कांग की 5.47 लाख करोड़ डॉलर है।

मार्केट कैप में उछाल की वजहें
भारतीय शेयर बाजार में उछाल की वजह भारत की GDP ग्रोथ अनुमान को भी माना जा रहा है। कल ही इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings & Research) ने मार्च तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ रेट 6.2 फीसदी और वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 6.9 से 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है समूचे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP की ग्रोथ रेट 7.8 प्रतिशत रहेगी।

इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर देखें तो भारत का सर्विस पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में अप्रैल के दौरान थोड़ी गिरावट आई लेकिन मजबूत मांग के कारण इसमें मजबूती कायम रही। HSBC के सर्वेक्षण में कहा गया कि जबरदस्त घरेलू मांग के अलावा विश्व के कई हिस्सों में नया कारोबारी मुनाफा बढ़ा।