नई दिल्ली। Derivatives Market: नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) को डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार का समय बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था मगर बाजार नियामक ने प्रस्ताव पर ब्रोकरों के एकमत नहीं होने की वजह से उसे खारिज कर दिया।
एनएसई (NSE) ने बाजार नियामक से डेरिवेटिव मार्केट को अतिरिक्त तीन घंटे शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक खोलने का अनुरोध किया था। एनएसई का तर्क था कि इससे बाजार भागीदारों को देर शाम वैश्विक संकेतों का आकलन करने और उसके हिसाब से खरीद-बिक्री करने में मदद मिलेगी। लेकिन शेयर ब्रोकरों में इस पर सहमति नहीं थी। ब्रोकरों का कहना था कि इससे उनकी लागत बढ़ जाएगी और अतिरिक्त तकनीक की भी जरूरत होगी।
एनएसई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी आशिष कुमार चौहान ने इस प्रस्ताव को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने की पुष्टि की। एनएसई के नतीजों पर विश्लेषकों के साथ चर्चा के दौरान चौहान ने कहा, ‘फिलहाल कारोबार का समय बढ़ाने की कोई योजना नहीं है क्योंकि ब्रोकरों की ओर से इस बारे में
अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिलने की वजह से सेबी ने हमारा आवेदन खारिज कर दिया। इसलिए मार्केट का समय बढ़ाने की योजना फिलहाल स्थगित कर दी गई है।’ इस साल की शुरुआत में शेयर ब्रोकरों के निकाय एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि बंबई स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर्स फोरम अलग सेगमेंट के पक्ष में नहीं था।
बाजार नियामक ने बाजार में कारोबार का समय बढ़ाने के साथ ही अन्य मुद्दों पर ब्रोकरों के बीच आम राय बनाने के लिए ब्रोकर्स इंडस्ट्री स्टैंडर्ड फोरम का गठन किया था जिसमें ब्रोकरों के तीन संगठन बतौर सदस्य शामिल थे।
सूत्रों के अनुसार आईएसएफ ने पिछले महीने प्रस्ताव पर अपनी टिप्पणियां सौंपी थीं। उसने न तो बाजार का समय बढ़ाने की जरूरत की पुष्टि की और न ही इससे जुड़ी चुनौतियों से इनकार किया।
बाजार नियामक ने एक्सचेंज के परिचालन, सौदों का निपटान, पोजीशन की निगरानी और जोखिम प्रबंधन के मसले पर सवाल उठाए थे। दूसरी ओर कई ब्रोकरों ने छोटे निपटान चक्र, ब्लॉक मैकेनिज्म तथा ग्राहकों के पैसों के उपयोग सहित अन्य नियामकीय बदलावों के बीच अतिरिक्त लागत और अनुपालन पर चिंता जताई थी।
ब्रोकरों की राय थी कि कारोबार का समय बढ़ाने से तकनीक और मानव संसाधन पर अतिरिक्त निवेश करने की जरूरत होगी और संभवत: यह उतना लाभकारी नहीं होगा। एनएसई की इरादा विस्तारित घंटों में केवल इंडेक्स डेरिवेटिव में ट्रेडिंग की अनुमति देने की थी।
प्रस्ताव के दौरान एक्सचेंज ने कहा था कि उसने बाजार के भागीदारों से इस मुद्दे पर गहन चर्चा की है। जो लोग इस प्रस्ताव के पक्ष में थे उनका कहना था कि इससे वैश्विक बाजारों से नकारात्मक खबरों से हेजिंग में मदद मिल सकती है। देसी बाजार अपराह्न साढ़े तीन बजे बंद हो जाता है जबकि यूरोपीय बाजार में कारोबार इस दौरान चरम पर होता है। अमेरिकी बाजार भारतीय समय के हिसाब से शाम 7 बजे खुलता है।
भारत में गिफ्ट निफ्टी, निफ्टी डेरिवेटिव अनुबंधों का कारोबार इंटरनैशनल फाइनैंस सर्विसेस सेंटर (आईएफएससी) में 20 घंटे से ज्यादा समय तक होता है। हालांकि घरेलू निवेशक इन अनुबंधों में कारोबार नहीं कर सकते हैं।
उद्योग के कुछ भागीदारों ने शेयरों के अंतर्निहित मूल्य निर्धारण संकेतों के बिना इंडेक्स ट्रेडिंग की अनुमति देने को लेकर चिंता जताई थी। बाजार नियामक ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कारोबार का समय बढ़ाने की अनुमति के लिए एक्सचेंजों, ब्रोकरों और निवेशकों की सर्वसम्मति होनी चाहिए।
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने भी कारोबार का समय बढ़ाने से पहले सिस्टम की क्षमता बढ़ाने और अन्य जरूरी तैयारी करने पर जोर दिया था। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि कारोबार का समय बढ़ाने की अनुमति देने से डेरिवेटिव बाजार को सट्टेबाजी के अड्डे के तौर पर देखे जाने को लेकर आलोचना की जा सकती है।