वर्ष 2025 तक देश के हर कोने में बिना रुकावट पहुंचेगी 24 घंटे बिजली

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भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार तय करने जा रही डेडलाइन

नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश भर में 24 घंटे बिजली पक्की करने के लिए मार्च, 2025 की मियाद तय करने जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पिछले दशक में सभी घरों को अपनी दो प्रमुख योजनाओं के जरिये जोड़ने के बाद वित्त वर्ष 2025 के अंत तक चौबीसों घंटे बिना रुकावट बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना चाहती है।

सूत्रों ने कहा कि यदि भाजपा आम चुनावों के बाद सत्ता में लौटती है तो यह कार्यक्रम भी उसकी योजना में शामिल ‘लगातार चल रहे सुधारों’ का हिस्सा होगा। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सभी को बिजली के ग्रिड से जोड़ने के बाद अगला कदम चौबीस घंटे बिजली पक्की करना ही है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘शहरों और देहात में बिजली आपूर्ति के औसत घंटे बढ़ गए हैं। राज्यों और बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को इन्हें बढ़ाकर 24 घंटे करने के लिए कहा जा रहा है। यह काम आखिरी चरण में है।’ मंत्रालय डिस्कॉम को चलाने वाले कायदों में इसके लिए प्रावधान शामिल करने की भी सोच रहा है।

राज्य सभा में बिजली मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में रोजाना औसतन 23.5 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है और ग्रामीण इलाकों में औसतन 20.5 घंटे रोजाना बिजली मिल रही है।

2023-24 में गर्मी के महीनों के दौरान देश में बिजली की मांग ने 240 गीगावाट का आंकड़ा लांघकर रिकॉर्ड बना दिया था। बिजली मंत्रालय का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में मांग 250 गीगावाट तक पहुंच जाएगी।

पिछले पांच साल में सौभाग्य और दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के जरिये केंद्र ने सभी गांवों और घरों को ग्रिड की बिजली से जोड़ दिया है। मगर केंद्रीय बिजली प्राधिकरण ने अप्रैल, 2023 में बिजली मंत्रालय के सामने प्रस्तुति में बताया कि कनेक्टिविटी बढ़ने के बाद भी बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों के ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति के घंटे काफी कम हुए हैं।

इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि शहरी मांग पूरी करना आसान है और सरकारी या निजी डिस्कॉम के लिए शहर ही प्राथमिकता रहते हैं। एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘असली चुनौती ग्रामीण क्षेत्रों खास तौर पर खेती वाले इलाकों में आती है, जहां आम तौर पर सब्सिडी वाली बिजली के उपभोक्ता रहते हैं। चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों में फीडर अलग करके और बिजली सब्सिडी घटाकर ही सुनिश्चित हो पाएगी।’

फीडर अलग करने का मतलब है ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू इस्तेमाल की बिजली और सिंचाई के लिए बिजली अलग-अलग फीडरों से देना है। इससे सब्सिडी वाली बिजली किसानों तक ही पहुंचेगी और उसका दुरुपयोग नहीं हो सकेगा।

उदय डैशबोर्ड पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक 62,000 चिह्नित ग्रामीण फीडरों को अलग करने के काम में इस समय 86 फीसदी प्रगति हो चुकी है। सरकारी डिस्कॉम की सेहत भी चुनौती होगी क्योंकि उन्होंने अबाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तगड़ा निवेश किया है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट मोहित कुमार ने कहा, ‘डिस्कॉम की सेहत पिछले दो साल में काफी सुधरी है मगर उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि सुधार लागू हों। मांग भी बढ़ रही है, इसलिए डिस्कॉम को अधिक बिजली खरीद समझौते करने, अपने पारेषण तथा वितरण ढांचे को आधुनिक बनाने में निवेश करना पड़ेगा। यह काम मुश्किल है मगर इसके लिए समयसीमा तय होना उपभोक्ताओं के लिए अच्छा संकेत है और इस क्षेत्र में निवेश जारी रहने का भी इशारा इससे मिलता है।’

अधिकारियों ने कहा कि डिस्कॉम के सुधार की प्रक्रिया ने तीन प्रमुख योजनाओं के कारण गति पकड़ी है – नए सिरे से बनी वितरण क्षेत्र की योजना, देर से भुगतान पर अधिभार और ओपन एक्सेस स्कीम में बदलाव।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वितरण क्षेत्र की नई योजना के तहत डिस्कॉम को अपनी माली हालत और कामकाज बढ़िया रखने होते हैं वरना विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाला अनुदान उन्हें गंवाना पड़ता है।

देर से भुगतान पर अधिभार सुनिश्चित करता है कि वे बिजली उत्पादक कंपनी को समय से भुगतान करें। ओपन एक्सेस के कारण डिस्कॉम के अलावा सभी बिजली आपूर्तिकर्ताओं के लिए मैदान खुल गया है। अब डिस्कॉम को सुधरना होगा वरना उनका बोरिया-बिस्तर बंध जाएगा।’