नई दिल्ली। Garlic Export: लहसुन की आसमान छूती कीमतें आपका बजट बेशक बिगाड़ रही हैं मगर इसे उगाने वाले किसान इस साल मालामाल हो गए हैं। पिछले साल लहसुन के दाम इतने गिर गए थे कि मायूस किसानों को फसल सड़कों पर फेंकनी पड़ गई थी मगर इस बार 200 रुपये किलोग्राम तक भाव मिलने से उनके सारे गिले-शिकवे दूर हो गए। मंडियों में आवक कम होने के कारण इस बार लहसुन चढ़ गया है और निर्यात मांग बढ़ने के कारण भी भाव में तेजी आई है।
सबसे ज्यादा लहसुन मध्य प्रदेश में होता है और देश में कुल लहसुन उत्पादन में आधा योगदान इसी राज्य का है। वहां के लहसुन किसान सुनील पाटीदार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले साल ज्यादातर किसानों को 20 से 30 रुपये के किलो पर लहसुन बेचना पड़ा था। उपज का कुछ हिस्सा तो 5 रुपये किलो तक बिका था, जिसकी वजह से किसानों को बहुत घाटा हुआ।
मगर इस बार किसानों को लहसुन की खेती से बढ़िया कमाई हुई है। सीजन के शुरुआती महीनों में ही किसानों का लहसुन 70 रुपये किलो बिका था। इस महीने 150 से 200 रुपये किलो कीमत मिल रही है। मध्य प्रदेश की मंदसौर मंडी में इस महीने लहसुन की अधिकतम कीमत 260 रुपये और न्यूनतम कीमत 50 रुपये किलो दर्ज की गई।
पिछले साल दिसंबर में लहसुन का अधिकतम थोक भाव 95 रुपये था और 3 रुपये किलो तक गिर गया था। उस समय लहसुन की मॉडल कीमत (ज्यादातर बिक्री इसी भाव पर होती है) 12 से 15 रुपये प्रति किलो रही। इस साल दिसंबर में ज्यादातर समय मॉडल कीमत 150 से 200 रुपये प्रति किलो के बीच रही।
दिल्ली में आजादपुर मंडी के लहसुन कारोबारी नवनीत सिंह बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल लहसुन 3 गुना से भी ज्यादा दाम पर बिक रहा है। इसकी असली वजह आवक में भारी कमी है। मंडियों में आम तौर पर इस समय 20,000 से 25,000 कट्टा (1 कट्टे में 40 किलो) लहसुन रहता है मगर इस समय इसका स्टॉक केवल 8,000 से 10,000 कट्टा है।
इसकी चोट आम आदमी को झेलनी पड़ रही है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से खुदरा बाजार में लहसुन 300 किलो के ऊपर ही चल रहा है। कहीं-कहीं तो इसके भाव 500 रुपये किलो तक भी चले गए हैं। पूर्वी दिल्ली में सब्जी बेचने वाले राजेश कुमार ने बताया कि अच्छी किस्म का लहसुन बाजार में 500 रुपये किलो बिक रहा है। उससे कम गुणवत्ता वाला लहसुन 350 से 400 रुपये किलो है।
मंडियों में लहसुन की आवक भी कम हो गई है। जिंसों के दाम और आवक का ब्योरा रखने वाली एजेंसी एगमार्कनेट के मुताबिक इस साल एक जनवरी से 25 दिसंबर तक करीब 17 लाख टन लहसुन मंडियों में पहुंचा।
पिछले साल समान अवधि में करीब 23.58 लाख टन पहुंचा था उत्पादन में आधे से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले मध्य प्रदेश की मंडियों में ही इस दौरान लहसुन की आवक करीब 39 फीसदी घटकर 9.8 लाख टन रह गई है। वर्ष 2022-23 में 32.55 लाख टन लहसुन का उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में 35.23 लाख टन उत्पादन हुआ था।
निर्यात हुआ दोगुना: चालू वित्त वर्ष में लहसुन का निर्यात दोगुने से भी ज्यादा रहा है। भारतीय मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2023 में अप्रैल से सितंबर तक 56,823 टन लहसुन का निर्यात हो चुका है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 27,031 टन का ही निर्यात हुआ था।