रबी सीजन की दलहन फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट की संभावना

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नई दिल्ली। रबी सीजन की दलहन फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है। रबी सीजन के सबसे प्रमुख दलहन-चना के बिजाई क्षेत्र में जोरदार गिरावट देखी जा रही है जबकि मसूर, उड़द एवं मूंग का रकबा भी गत वर्ष से पीछे चल रहा है। केवल मटर का क्षेत्रफल थोड़ा आगे है।

दरअसल खरीफ सीजन के दौरान प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आने में देर होने से बिजाई प्रभावित हुई और फिर अगस्त के अत्यन्त शुष्क एवं गर्म मौसम ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया।

इससे मूंग एवं उड़द के साथ-साथ अरहर (तुवर) की फसल को काफी क्षति हुई। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में मूंग एवं उड़द के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना व्यक्त की है।

जहां तक रबी कालीन दलहनों का सवाल है तो इसका कुल बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 140 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 128.55 लाख हेक्टेयर रह गया है। चना, मसूर एवं मटर की बिजाई अंतिम चरण में पहुंच गई है।

रबी कालीन मूंग एवं उड़द की अधिकांश खेती दक्षिण भारत में होती है जहां इसकी बिजाई देर तक चलती है। इसके अलावा विस्तारित रबी सीजन (ग्रीष्मकालीन या जायद सीजन) के दौरान भी इन दलहनों की थोड़ी-बहुत खेती की जाती है। लेकिन अल नीनो मौसम चक्र के खतरे को देखते हुए आगामी समय में दलहन फसलों के लिए कठिनाई कुछ बढ़ सकती है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान चना का उत्पादन क्षेत्र 98 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 88.50 लाख हेक्टेयर, मसूर का बिजाई क्षेत्र 16.85 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 16.75 लाख हेक्टेयर,

मूंग का क्षेत्रफल 1.65 लाख हेक्टेयर से गिरकर 1.20 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का रकबा 4.55 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.85 लाख हेक्टेयर रह गया है जबकि मटर का उत्पादन क्षेत्र 8.65 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 8.75 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है।

अन्य दलहनों का क्षेत्रफल 3.50 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.10 लाख हेक्टेयर रह गया। दलहनों का कुल बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से पीछे रहने की संभावना है जिससे खरीफ सीजन की भांति रबी सीजन में भी घट सकता है।