जयपुर। Cumin Price: राजस्थान एवं गुजरात में जीरे की बोआई (Cumin Sowing) बढ़ने के समाचार से कीमतों में गिरावट का दौर जारी है। वायदा बाजार में 65 हजार रुपये तक बिकने वाला जीरा अब 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल से नीचे बिक रहा है। इसके दाम बीते 10 दिन में 14 फीसदी घट चुके हैं।
जीरे के वायदा भाव में बीते कुछ दिनों से लगातार गिरावट देखी जा रही है। कमोडिटी एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर 10 दिन पहले जीरे का जनवरी, 2024 अनुबंध 46,120 रुपये के भाव पर बंद हुआ है, जो शुक्रवार को गिरकर 39,470 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस तरह जीरे के वायदा भाव में 14.41 फीसदी गिरावट आ चुकी है।
कृषि कमोडिटी के जानकारों का कहना है कि इस साल भाव ज्यादा मिलने से किसानों ने जीरे की बोआई पर जोर दिया। देश में गुजरात और राजस्थान जीरे के दो प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। गुजरात में 4 दिसंबर तक 3.76 लाख हेक्टेयर में जीरे की बोआई हुई जो पिछली समान अवधि में 1.44 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 161 फीसदी ज्यादा है। राजस्थान में जीरे के रकबे में 13 फीसदी इजाफा हुआ है और राजस्थान में 6.32 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया है।
और सस्ता होगा जीरा
जिस तरह से जीरे की बोआई में भारी इजाफा हुआ है, उससे लगता है कि आगे जीरे के भाव में मद्दा ही रहने वाला है। जनवरी अनुबंध के भाव आने वाले दिनों में गिरकर 35,000 रुपये से नीचे जा सकते हैं। इस समय यह 39,500 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है। जीरे की नई फसल अगले साल मार्च महीने में आने वाली है। वहीँ हमारे कमोडिटी एक्सपर्ट का खाना है कि जीरा के भाव नीचे में 300 रुपये किलो तक आ सकते हैं। इससे ज्यादा नीचे जानें की उम्मीद नहीं है।
रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान
बिजाई के पश्चात अगर मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो इस वर्ष निश्चित ही जीरे की रिकॉर्ड पैदावार होगी। उल्लेखनीय है कि दूसरे वर्ष भी देश में जीरे का उत्पादन बढ़ने के अनुमान लगाये जा रहे हैं। वर्ष 2022 के दौरान जीरा का उत्पादन लगभग 54/55 लाख बोरी (प्रत्यके बोरी 55 किलो) का रहा था जोकि 2023 में बढ़कर 60/62 लाख बोरी का हो गया है। हालांकि वर्ष 2023 के पूर्व में फिस्स द्वारा जारी उत्पादन अनुमान 69/70 लाख बोरी का जारी किया था लेकिन बेमौसमी बारिश से राजस्थान में फसल को नुकसान होने के कारण बाद में उत्पादन अनुमान 60/62 लाख बोरी का लगाया गया था।
अब तेजी की उम्मीद नहीं
कमोडिटी एक्सपर्ट का कहना है कि कीमतें काफी घट जाने के कारण अब जीरे की गिरती कीमतें रुकनी चाहिए। क्योंकि उत्पादक केन्द्रों पर बकाया स्टॉक कम रह गया है साथ ही नई फसल आने में अभी 2/3 माह का समय शेष है। अतः जीरे के भावों में अब अधिक मंदा-तेजी के चांस नहीं है भाव सीमित दायरे में बने रहेंगे।
तीन माह में निर्यात घटा
चालू वित्त वर्ष के प्रथम तीज माह में जीरा निर्यात बढ़ने के पश्चात द्वितीय तीन माह में निर्यात घटा है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2023 तक जीरा का निर्यात 55399.64 टन का हुआ था जबकि वर्ष 2022 (अप्रैल-जून) में निर्यात 4719.97 टन का रहा था। लेकिन जुलाई-सितंबर में निर्यात घटने के कारण कुल निर्यात घटा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल-सितम्बर 2023 में कुल निर्यात 76969.88 टन का हुआ है। जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में निरयत 109628.78 टन का किया गया था। वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में कुल निर्यात 186508 टन का रहा था।