झालावाड़ जिले में श्रीमती वसुंधरा राजे की झालरापाटन की सीट को छोड़कर शेष तीनों सीटों डग-पिड़ावा, मनोहरथाना और खानपुर में उन सभी प्रत्याशियों के नामों पर कार्यकर्ताओं ने ऐतराज जताया है, जो श्रीमती राजे के समर्थक हैं। तीनों के मौजूदा विधायक रहते हुए भी वे स्थानीय कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहे हैं। इनमें से खानपुर विधानसभा क्षेत्र में तो पूर्व में विधायक रहे अनिल जैन ने भाजपा कार्यकर्ताओं के चाहने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने तक का ऐलान कर दिया है। खानपुर में नरेंद्र नागर, डग-पिड़ावा में कालूराम मेघवाल और मनोहरथाना में गोविंद रानीपुरिया भाजपा के मौजूदा विधायक हैं और इस बार भी वे ही प्रत्याशी हैं। तीनों को ही उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है।
-कृष्ण बलदेव हाडा-
Rajasthan Assembly Elections: भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को टिकट देने के मामले में झालावाड़ जिले में भाजपा कार्यकर्ताओं के तेवर ही कुछ अलग हैं। यहां उलट बयार बह रही है। एक ओर जहां भाजपा की पहली सूची में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के समर्थकों को टिकट नहीं दिए जाने के विरोध में राज्य भर में उनके समर्थक भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष फैला लेकिन दूसरी व तीसरी सूची में श्रीमती वसुंधरा राजे के समर्थकों को जगह मिली तो असंतोष की लहर कम हुई।
राज्य के अन्य हिस्सों में जहां श्रीमती राजे समर्थक खुश है तो दूसरी ओर श्रीमती वसुंधरा राजे के गृह जिले माने जाने वाले झालावाड़ में झालरापाटन से उनकी अपनी उम्मीदवारी के अलावा इस बार भी पूर्ववत झालावाड़ जिले की बाकी तीनों सीटों पर उनके समर्थकों को टिकट दिए गए हैं लेकिन श्रीमती वसुंधरा राजे को छोड़कर बाकी अन्य सभी तीन सीटों पर घोषित प्रत्याशियों का भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता खुलकर विरोध कर रहे हैं।
स्थिति यह बनी है कि टिकट न मिलने की सूरत में एक पूर्व विधायक ने तो भाजपा कार्यकर्ताओं के समर्थन के बूते पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी घोषणा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने झालावाड़ जिले की चारों विधानसभा सीटों से अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जिनमें श्रीमती वसुंधरा राजे को उनकी परंपरागत सीट झालरापाटन से प्रत्याशी बनाया है और शेष तीनों सीटों पर वर्तमान में अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा विधायक ही प्रत्याशी हैं।
तीनों ही जगहों पर उनकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ता विरोध कर रहे है। खानपुर में तो स्थिति यह है कि पूर्व में विधायक रह चुके और भाजपा के दिवंगत दिग्गज नेता पूर्व विधायक अनंग कुमार जैन के पुत्र अनिल जैन ने तो घोषणा की है कि” यदि समर्थक चाहेंगे तो टिकट न मिलने की स्थिति में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे, इसके बाद जो भी जनता का फैसला होगा, वह मंजूर होगा।”
इस विधानसभा सीट से भाजपा ने नरेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी बनाया है जो वर्तमान में विधायक हैं और श्रीमती वसुंधरा राजे के प्रबल समर्थक माने जाते हैं। स्वर्गीय अनंग कुमार जैन झालावाड़ जिले में भाजपा के बड़े नेता रहे हैं और यही वजह कि उनके निधन के बाद पार्टी कार्यालय का नाम अनंग कुमार जैन के नाम पर ही रखा गया था। उनके पुत्र अनिल जैन को एक बार खानपुर से भाजपा ने टिकट भी दिया और वे जीते भी लेकिन यह तब की बात थी जब वे श्रीमती वसुंधरा राजे की ‘गुड बुक’ में थे।
लेकिन अब नहीं है तो लगातार उनकी उपेक्षा कर श्रीमती राजे के दूसरे प्रबल समर्थक नरेंद्र नागर को टिकट दिया जा रहा है। अब लगातार उपेक्षा से आहत अनिल जैन खुद मैदान में आ गए हैं और टिकट न मिलने की सूरत में निर्दलीय चुनाव लड़ने की चेतावनी दे दी है। कमोबेश यही स्थिति झालावाड़ जिले के सुदूर मनोहरथाना विधानसभा में है जहां भारतीय जनता पार्टी ने श्रीमती वसुंधरा राजे के प्रबल समर्थक गोविंद रानीपुरिया को अपना प्रत्याशी बनाया है जो अभी भी विधायक हैं। लेकिन इस बार उनका खुलकर विरोध हो रहा है।
यहां तक कि कार्यकर्ता उनके नाम की घोषणा के बाद से ही कई जगह उनका पुतला फ़ूंक चुके हैं। गोविंद रानीपुरिया का नाम तय होने के तुरंत बाद उसी दिन नगर में कार्यकर्ताओं ने विरोध में नारे लगाते हुए एक बड़ा जुलूस भी निकाला था। झालावाड़ जिले की चौथी विधानसभा सीट डग-पिड़ावा में मौजूदा विधायक कालूराम मेघवाल पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर से अपना भरोसा जताया है।
वैसे उन्हें भी श्रीमती वसुंधरा राजे का समर्थक होने की एवज में ही टिकट से नवाजा गया है लेकिन लोगों में उनके प्रति नाराजगी इस कदर है कि नाम की घोषणा के बाद से ही कालूराम मेघवाल अपने विधानसभा क्षेत्र में जहां भी जा रहे हैं, ग्रामीण उनका रास्ता रोक रहे हैं तो भाजपा कार्यकर्ता काले झंडे दिखा रहे हैं।
इस बारे में कालूराम मेघवाल समर्थकों का कहना है कि विरोध करने वाले, काले झंडे दिखाने वाले भाजपा के कार्यकर्ता नहीं हैं, बल्कि कांग्रेसी हैं जो इस विधानसभा क्षेत्र लगातार हो रही हार से इस कदर बौखला गए हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं की आड़ में अपने दलगत विरोध को हवा दे रहे हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं को तो इस बात पर संतोष है कि कालूराम मेघवाल एक बार फिर से चुनाव मैदान में है जिन्होंने बीते पांच सालों में पार्टी की सरकार नहीं होते हुए भी कार्यकर्ताओं और आम जनता की अपेक्षा के अनुरूप यहां विकास कार्य करवाया है।