जयपुर। Coaching Guideline: राजस्थान सरकार ने कोटा समेत राज्य के सभी कोचिंग सेंटरों को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन्स जारी की हैं। नई गाइडलाइन्स के अनुसार कक्षा 9 से नीचे के छात्रों कोचिंग संस्थानों में प्रवेश देने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही छात्रों को एडमिशन देने से पहले कोचिंग संस्थानों को स्क्रीनिंग परीक्षा लेनी होगी और बैचों का संचालन छात्रों की रैंक के बजाए अल्फाबेटिकली किया जाएगा।
इस संबंध में राज्य सरकार ने शिक्षा सचिव भवानी सिंह डेठा की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय समिति का गठित किया है। कोटा से लगातार आ रही छात्रों की आत्महत्याओं की खबरों के बीच सरकार ने अब कोचिंग संस्थानों के नियमन को लेकर गाइडलाइन्स जारी की है। इस साल कोटा में अब तक 25 छात्रों ने सुसाइड की है। जो कि 2015 के बाद सबसे ज्यादा है। कोटा पुलिस की स्टूडेंट सेल हेल्पलाइन के अनुसार अब तक यहां कुल 45 छात्र अपनी जांन दे चुके हैं।
कोचिंग संस्थानों द्वारा इन गाइडलाइन्स का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कोचिंग के बड़े अड्डों कोटा और सीकर में मोनिटरिंग सेंट बनाने का भी प्रावधान किया गया है। दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के स्टाफ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
9वीं कक्षा से नीचे के छात्रों का दाखिला नहीं: सरकार की गाइडलाइन्स के अनुसर, सरकार एक ऐसा एकीकृत पोर्टल भी विकसित करेगी जिसके जरिए मोनिटर सेंटर के पास कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले सभी संस्थानों का डेटा होगा। वहीं छात्रों के एडमिशन को लेकर कहा गया है कि कोचिंग सेंटर 9वीं कक्षा से नीचे के छात्रों को दाखिल नहीं करेंगे। समिति ने कहा कि यदि 9वीं कक्षा से कम उम्र का कोई छात्र दाखिल हुआ है और वह संस्थान छोड़ना चाहता है तो कोचिंग संस्थान को पूरी फीस रिफंड करनी होगी। साथ ही नए एडमिशन प्रवेश परीक्षा के जरिए ही होंगे।
सरकार की ओर से जारी कोचिंग रेगुलेशन गाइडलाइन्स के अनुसार, आसानी से संस्थान छोड़ने और रिफंड की व्यवस्था भी बनाई जाएगी। विशेषज्ञों ने इस बाद की ओर इशारा किया है कि कोर्स के मध्य में छात्रों के ऊपर काफी ज्यादा प्रेशर होता है। कई छात्र इस प्रेशर को हैंडल करने के लिए संघर्ष करते हैं लेकिन वह कोचिंग छोड़कर वापस घर नहीं जा सकते क्योंकि उनके घरवालों ने एक बड़ी राशि उनकी शिक्षा के लिए लगाया होता है।
साथ ही छात्रों के बैच भी एल्फाबेटकली बनाएं जांए ऐसा न हो कि कोर्स के मध्य में वीकली असेसमेंट के परफॉर्मेंस के आधार पर। साथ ही छात्रों का रिजल्ट सार्वजनिक न किया जाए। जो छात्र पढ़ाई में कमजोर हों उनकी व्यक्तिगत रूप से काउंसिलिंग की जाए और उनकी मार्कशीट भी गोपनीय रखी जाए।