कोटा। World Biggest Bell: शहर के चम्बल रिवर फ्रंट पर लग रही दुनिया की सबसे बड़ी घंटी लगने से पहले ही विवादों में फंस गई है। घंटी के कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य और नगर विकास न्यास के बीच पेमेंट को लेकर पेंच फंस गया है। इस बीच कास्टिंग इंजीनियर सांचे में घंटी निकाले बिना ही कोटा छोड़कर चला गया है।
कास्टिंग इंजीनियर का कहना है कि घंटी बनाने का श्रेय इसके डिजाइनर को दे दिया और यूआईटी कॉन्ट्रैक्टर ने डेढ़ करोड़ रुपए का पेमेंट भी अटका दिया है।
आर्य ने कहा कि जब तक पेमेंट नहीं मिलता, मैं इस घंटी को सांचे से बाहर ही नहीं निकालूंगा। अगर मैंने इसे बाहर नहीं निकाला तो कोई भी इसे बाहर निकालने में सक्षम नहीं है। यह बयान देने के बाद आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई थी, लेकिन कॉन्फ्रेंस कैंसिल कर दी।
देवेंद्र आर्य ने ये मैसेज कोटा में बने लोकल वॉट्सऐप ग्रुप पर भेजे हैं। आर्य प्रोजेक्ट को लेकर अपने फाइनेंशियल लॉस और बुरे बर्ताव की बात कर रहे हैं। उन्होंने लास्ट में लिखा है- बाय-बाय कोटा, मैं इस घंटी को खोलने (मोल्ड बॉक्स से निकालने) वापस नहीं आऊंगा।
देवेंद्र आर्य ने ये मैसेज कोटा में बने लोकल वॉट्सऐप ग्रुप पर भेजे हैं। आर्य प्रोजेक्ट को लेकर अपने फाइनेंशियल लॉस और बुरे बर्ताव की बात कर रहे हैं। उन्होंने लास्ट में लिखा है- बाय-बाय कोटा, मैं इस घंटी को खोलने (मोल्ड बॉक्स से निकालने) वापस नहीं आऊंगा।
बता दें कि चंबल रिवर फ्रंट पर यह घंटी लगाने का काम अब तक शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन अब तक इसे मोल्ड बॉक्स से ही बाहर नहीं निकाला गया है। घंटी कास्टिंग के बाद से मोल्ड बॉक्स में ही है।
घंटी के कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य ने कहा है कि वे इस प्रोजेक्ट से अब मैं हाथ पीछे खींच रहा हूं। मैं मोल्ड बॉक्स से घंटी को बाहर नहीं निकालूंगा। मेरे साथ यहां बुरा बर्ताव किया जा रहा है। एक ही व्यक्ति को क्रेडिट देने की कोशिश की जा रही है, मेरी मेहनत को किसी दूसरे के नाम से प्रमोट किया जा रहा है।
देवेंद्र आर्य ने बताया कि इस घंटी को बनाने में 1 साल से ज्यादा मेहनत की है। अपनी तरफ से भी रुपए लगाए हैं। राजकोट, भिलाई और राउरकेला से मंगवाए मैटल समेत अन्य सामग्री का यूआईटी ने एक साथ पेमेंट नहीं दिया था, तब मैंने अपनी तरफ से पेमेंट किया, हालांकि यूआईटी पेमेंट कर देती थी, लेकिन अब बकाया डेढ़ करोड़ रुपए अटकाए जा रहे हैं।
कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य ने कहा कि घंटी बनाने का श्रेय डिजाइनर को दिया जा रहा है, जो बिल्कुल गलत है। घंटी कैसी बनेगी, इसकी डिजाइन बनाना और उस डिजाइन को असल में बनाकर देना, दोनों में फर्क है। कास्टिंग हमने की है, लेकिन क्रेडिट किसी और को दिया जा रहा है।
बता दें कि कोटा में बीते गुरुवार को दुनिया की सबसे बड़ी घंटी की कास्टिंग पूरी की गई थी। इस घंटी का वजन 79 हजार किलो है और इसका निर्माण 13 अलग-अलग धातुओं को पिघला कर किया गया है। 7 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कास्टिंग के बाद प्रोसेस आगे नही बढ़ सकी है। इसके पीछे मुख्य वजह यूआईटी और कांट्रैक्टर के साथ कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य का विवाद है।
चंबल रिवर फ्रंट के प्रोजेक्ट डिजाइनर और इस घंटी की डिजाइनिंग करने वाले आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी घंटी रिवर फ्रंट पर स्थापित करने के सपने धरातल पर लाने के लिए हमने काम किया।
इसमें क्रेडिट लेने की बात है तो ये पूरी तरह से सरकारी काम है और सरकार की ही योजना है। फिर भी श्रेय लेने की बात है तो इस प्रोजेक्ट में लगे हर मजदूर को इसका श्रेय लेना चाहिए। ये प्रोजेक्ट कोटा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है ना कि किसी की पर्सनल मार्केटिंग के लिए। इस मामले में यूआईटी के अधिकारी जवाब देने से बच रहे हैं।