पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है। अब तक केंद्रीय जल संसाधन मंत्री के पद पर रहते हुए भी राजस्थान में कोटा संभाग के चारों जिलों कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ सहित 13 जिलों के किसानों को पानी का हक दिलाने में विफल रहे मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत वायदों पर अमल करने के बजाए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर व्यक्तिगत कटु आक्षेप लगाने पर आमादा है।
–कृष्ण बलदेव हाडा –
Politics on ERCP: राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही राज्य के 13 जिलों के हजारों किसान परिवारों को लाभान्वित करने के लिए बनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर एक बार फिर से राजनीति तेज हो गई है क्योंकि यह परियोजना मतदाताओं के एक बड़े हिस्से को आकर्षित करने की वजह बन सकती है।
ताजा विवाद केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के पुराने पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) योजना के साथ जोड़कर नया लिंक तैयार करने को लेकर दिया गया बयान है। उनका दावा है कि ऎसा करने से न केवल राजस्थान के 13 जिलों को पीने का पानी मिलेगा बल्कि दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई हो सकेगी।
गजेंद्र सिंह शेखावत का आरोप है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस प्रस्ताव को मान नहीं रहे हैं जिसके कारण ही इस परियोजना में देरी हो रही है। जबकि सच्चाई यह है कि पार्वती-काली सिंध-चंबल नदियों को जोड़कर ईआरसीपी बनाना तो पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की ओर से प्रस्तावित की गई मूल योजना का हिस्सा ही नहीं था।
इसके विपरीत हकीकत यह है कि चूंकि शेखावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले विधानसभा चुनाव के समय किए गए वायदे के बावजूद और मोदी सरकार में इस दृष्टि से अहम मंत्रालय जल संसाधन विभाग के मंत्री रहते हुए भी ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने में बीते चार सालों में पूरी तरह से नकारा साबित हुए हैं।
इसलिए वे अपनी खीज मिटाने के लिए अब तो ईआरसीपी के मसले पर लोगों का ध्यान भटकाने के बयान देने के अलावा मुख्यमंत्री गहलोत पर निम्न भाषा में व्यक्तिगत दोषारोपण करने तक पर आमादा हो गए हैं।
इसकी बानगी यह है कि मंगलवार को शेखावत ने अलवर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान तंज कसते हुए कहा कि-“अशोक गहलोत अपने बेटे की हार की खीज मुझ पर उतार रहे हैं। इसीलिए संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी से मेरा नाम जोड़ा गया है।” शेखावत ने कहा कि-” संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी सहित किसी भी ऐसी सोसाइटी में मैं या मेरे मित्र, मेरी पत्नी किसी भी रूप में प्राथमिक सदस्य नहीं हैं। न एजेंट है और न ही किसी तरह का लेन-देन किया हो तो मैं जिम्मेदार हूं।”
गजेंद्र सिंह शेखावत का यह पूरा बयान ईआरसीपी मसले पर केंद्रीय मंत्रालय के मंत्री रहते राजस्थान के 13 जिलों के हजारों किसान परिवारों को लाभान्वित करवाने में अपनी विफलता से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ही अशोक गहलोत पर व्यक्तिगत आरोप लगाया है।
उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मसले को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर एक बार फिर से निशाना साधा है और यह कहा है कि- इन दोनों ने यह जिद्द पकड़ ली है कि वे राजस्थान की दृष्टि से इस महत्वपूर्ण परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करेंगे। लेकिन यह दोनों यह समझ ले हमारी भी जिद्द है कि केंद्र नहीं करेगा तो हम ईआरसीपी को पूरा करके दिखाएंगे।
अगर उनकी सोच नकारात्मकता के साथ जिद्दी है तो मैं भी जिद्दी हूं, लेकिन काम करने के मामले में मेरी जिद्द रहती है। हम झूठे वादे नहीं करते हैं। हम जो कहते हैं उसे करके दिखाते हैं।” अशोक गहलोत ने कहा कि-” मैं जानता हूं कि पीने के पानी के लिए अजमेर शहर कितना तड़पा है? अभी हमने जयपुर के रामगढ़ बांध को ईसरदा से पानी लाने का फैसला किया है।
अजमेर 20-25 साल पहले पानी के लिए कितना तड़पा था, मैं जानता हूं। बीसलपुर बांध बनने के बाद अजमेर को पानी मिलने लगा है।” राजस्थान सरकार की सोच है कि ईआरसीपी के जरिए राज्य के पूर्वी हिस्से के 13 जिलों के लोगों को सिंचाई के साथ-साथ पीने का पानी भी उपलब्ध करवाया जाए और इसके लिए अपने स्तर पर राज्य सरकार की योजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता दिखा रही है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने वित्तीय बजट भाषण में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए वित्तीय प्रावधान करते रहे हैं। इस साल के बजट में भी उन्होंने इस परियोजना के लिए वित्तीय प्रावधान किए हैं।
दूसरी ओर गजेंद्र सिंह शेखावत ने ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया है। शेखावत का कहना है कि केंद्र सरकार ने पुरानी पीकेसी के साथ जोड़कर नया लिंक दिया है। इसमें न केवल पीने का पानी मिलेगा बल्कि दो लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा बढेगा। लेकिन इसे मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं कर रहे।
शेखावत का कहना है कि पूर्वी राजस्थान के इन 13 जिलों में राज्य की कुल आबादी के 40 प्रतिशत लोग रहते हैं। गहलोत सरकार की राजनीति के चलते इन 13 जिलों में जनता त्रस्त और लाचार है और यह महत्वकांक्षी परियोजना शुरू नहीं हो पा रही है।
वर्ष 2004 से पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय में नदियों को जोड़ने की परियोजना की परिकल्पना की गई थी। उस समय देश में 31 लिंक बनाए गए थे। उनमें से एक पार्वती- कालीसिंध-चंबल लिंक मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच था लेकिन राजस्थान की सहमति से इस लिंक को उस समय स्थगित कर दिया गया था। शेखावत का कहना है कि वर्ष 2004 से 2014 तक केंद्र में यूनाइटेड पीपुल्स फ़्रंट की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय इस पर विचार या काम नहीं हुआ।
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के बनने के बाद इस पर वापस विचार करना प्रारंभ किया। वर्ष 2016 में श्रीमती वसुंधरा राजे सरकार ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की परिकल्पना के विषय में विचार किया और वर्ष 2017 में वाप्कोस को डिजाइन बनाने के लिए कहा गया, लेकिन राजस्थान में देश के तय मानक 75 प्रतिशत की बजाय 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया जिसे स्वीकृति नहीं मिली।
शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बार-बार बताया कि हल निकालते हैं। हमने 10 बार बैठकों का आयोजन किया है लेकिन एक ही बार राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री जिसका दायित्व पहले अशोक गहलोत के पास था, वह बैठक में आए नहीं।
बाद में बनाए गए मंत्री इस बैठक में उपस्थित नहीं हुए। प्रधानमंत्री की जयपुर में वर्ष 2022 में 18 अप्रैल को बैठक 1 दिन पहले मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्री को देखकर समय निश्चित किया गया था। बैठक की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री और मंत्री की तरफ से कहलवा दिया गया कि वह दोनों ही नहीं आ सकते।