गैर रासायनिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए पीएम-प्रणाम को मंजूरी

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नई दिल्ली। PM-PRANAM: केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने आज नई योजना पीएम-प्रणाम को मंजूरी दी है। इसका मकसद राज्यों को गैर रासायनिक उर्वरकों (non chemical fertilizers) के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही केंद्र ने 3,68,000 करोड़ रुपये आवंटन के साथ मौजूदा यूरिया सब्सिडी को वित्त वर्ष 23 से 3 वर्षों तक जारी रखने का फैसला किया है।

इसके अलावा उर्वरक क्षेत्र के लिए 2 और फैसलों को हरी झंडी दी गई है। इसमें ऑर्गेनिक खाद को प्रोत्साहन देने के लिए 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी दिया जाना और देश में पहली बार सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) पेश करने का फैसला शामिल है। यूरिया गोल्ड मिट्टी में सल्फर की कमी को पूरा करने और यूरिया के इस्तेमाल को घटाने के मकसद से पेश किया गया है। जैविक खाद पर दी गई सब्सिडी से आज के पैकेज की कुल लागत 3.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी।

पीएम प्रणाम शब्द प्राइम मिनस्टर्स प्रोग्राम फॉर रेस्टोरेशन, अवेरनेस, जेनरेशन, नॉरिशमेंट ऐंड एमेलियोरेशन आफ मदर अर्थ (धरती की पुनर्स्थापना, जागरूकता, सृजन, पोषण और सुधार के लिए प्रधानमंत्री कार्यक्रम) से लिया गया है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, ‘इस योजना के तहत केंद्र राज्यों को वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने तथा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिये प्रोत्साहन देगा।’ उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर 10 लाख टन परंपरागत उर्वरक का उपयोग करने वाला राज्य इसकी खपत में 3 लाख टन की कमी लाता है, तब 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत होगी। इस बची हुई सब्सिडी में से 50 प्रतिशत यानी 1,500 करोड़ रुपये उस राज्य को वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग और अन्य विकास कार्यों के लिए दिए जाएंगे।

यूरिया सब्सिडी 2025 तक जारी रखने के फैसले से किसानों को उर्वरक की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी और उन्होंने 242 रुपये में 45 किलो की खाद की बोली मिलेगी। यूरिया के लिए 3 साल की सब्सिडी 3,68,676.7 करोड़ रुपये है, जिसमें फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरक के लिए खरीफ 2023-24 में मंजूर किए गए 38,000 करोड़ रुपये शामिल नहीं हैं।

गन्ने का एफआरपी बढ़ा: सरकार ने बुधवार को 2023-24 सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 रुपये बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है जिसे चीनी मिलों को गन्ना किसानों को देना होता है। गन्ना सत्र अक्टूबर से शुरू होता है।

पिछले साल एफआरपी में 15 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की गई थी। 1966 के गन्ना (नियंत्रण) आदेश के मुताबिक एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिसका भुगतान चीनी मिलों को गन्ना किसानों को करना होता है। आज के मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक 315 रुपये प्रति क्विंटल एफआपी 10.25 प्रतिशत बेसिक रिकवरी रेट से जुड़ा है।

रिकवरी दर चीनी की वह मात्रा होती है, जो गन्ने से मिलती है। अगर गन्ने से ज्यादा चीनी मिलती है तो इससे बाजार में ज्यादा चीनी मिलती है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10.25 प्रतिशत से ऊपर रिकवरी में हर 0.1 प्रतिशत बढ़ोतरी पर किसानों को 3.07 रुपये प्रति क्विंटल प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा,जबकि 0.1 प्रतिशत रिकवरी में कमी पर 3.07 रुपये प्रति क्विंटल कम भुगतान किया जाएगा।

बहरहाल आधिकारिक बयान में कहा गया है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए, खासकर जिन किसानों के गन्ने की किस्म में ज्यादा चीनी नहीं बन पाती है, उनके लिए 9.5 प्रतिशत रिकवरी पर 291.75 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने की कीमत तय की गई है और इससे कम रिकवरी पर किसानों को मिलने वाले भाव में कोई कटौती नहीं की जाएगी। पिछले साल 9.5 प्रतिशत रिकवरी रेट पर कीमत 282.12 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई थी।

सूत्रों ने कहा कि जिन राज्यों में एफआरपी के आधार पर भुगतान किया जाता है, संभवतः किसानों को तय किया गया सबसे कम भाव ही मिलने की संभावना है क्योंकि इस साल गुजरात जैसे कुछ राज्यों को छोड़ दें तो रिकवरी रेट 10.25 प्रतिशत से कम रही है।

एनआरएफ का प्रस्ताव मंजूर: देश में शोध को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इसके लिए संसद में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023 पेश किया जाएगा।