जब बूंदी के 13 गांवों के अधिग्रहण की अधिसूचना तो खान की झौंपड़ियां की क्यों नहीं

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-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। राजस्थान में कोटा के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि राज्य सरकार जनभावनाओं के विपरीत कोटा में हवाई अड्डा बनाने एवं सीमा विस्तार के लिए बूंदी जिले के 13 गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने का प्रयास कर रही है जबकि कोई जन विरोध नहीं होने के बावजूद खान की झौंपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल नहीं किया जा रहा है।

श्री सिंह ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे एक पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने कोटा में एयरपोर्ट के निर्माण के लिए और प्रस्तावित कोटा विकास प्राधिकरण के गठन के लिए बूंदी जिले की तालेड़ा तहसील के 13 गांवों को कोटा जिले में मिलाने का नोटिफिकेशन जारी किया है जिसका इन सभी गांव के लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनकी विरोध की कोई सुनवाई नहीं हो रही और राज्य सरकार इस विरोध को दरकिनार करते हुए सभी गांवों को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने का भरसक प्रयास कर रही है।

श्री सिंह ने कहा कि जब बूंदी जिले के 13 गांव का अधिसूचना जारी करके कोटा जिले में शामिल करने की हरसंभव कोशिश की जा सकती है तो खान की झौंपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की अधिसूचना क्यों नहीं जारी की जा रही है जबकि वे पिछले दो सालों से लगातार कलेक्टर, संभागीय आयुक्त, राजस्व सचिव सहित मुख्यमंत्री तक को इस बारे में लगातार पत्र लिख रहे हैं ताकि इस गांव को कोटा जिले में शामिल करके अवैध खनन से मुक्त करवाया जा सके ।

श्री सिंह ने कहा कि कोटा कलक्टर, संभागीय आयुक्त और राजस्व सचिव सहित बारां के प्रभारी मंत्री तक खान के झौंपड़िया गांव का अवलोकन कर चुके हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने राज्य सरकार को रिपोर्ट दी है कि इस गांव को कोटा जिले में शामिल किया जा सकता है।

श्री भरत सिंह ने कहा कि जिस समय वर्ष 1992 में कोटा से अलग कर बारां जिले का गठन किया गया था तो नैसर्गिक रूप से कोटा जिले की सीमा में होने के बावजूद प्रशासनिक गलती की वजह से खान की झौंपड़िया गांव को बारां जिले में शामिल कर लिया गया और बाद में प्रशासनिक स्तर पर यह मान भी लिया गया कि गलती हुई है।

इस बारे में रिपोर्ट भी राज्य सरकार को दी जा चुकी है और वे खुद लगातार पिछले दो सालों से मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मांग को उठा भी रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद इस एक गांव को अधिसूचना जारी करके बारां से कोटा जिले की सीमा में शामिल नहीं किया जा रहा है। आखिर इसकी वजह क्या है?

श्री सिंह ने कहा कि बारां जिले की अंता विधानसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के एक मंत्री अत्यंत भ्रष्ट हैं और मुख्यमंत्री ही उनको संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। उन्हें पद से नहीं हटानें को मुख्यमंत्री ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है।

इसके अलावा बारां में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलकर चुनाव लड़ते हैं इसीलिए इस मुद्दे पर एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता चुप है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि खान की झौंपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने पर दिया जाए।

श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की नीतियां दो तरफा है। एक तरफ संवेदनशील शासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हैं, जबकि दूसरी ओर एक भ्रष्ट मंत्री उनकी सरकार में साथी-सहयोगी है जिनके और खान माफियाओं के दबाव में खान की झौंपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल नहीं किया जा रहा है ।