जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रिफाइनरी के मुद्दे पर वसुंधरा राजे सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने रिफाइनरी को लेकर हुए एमओयू पर कई तरह के सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार जनता को रिफाइनरी का आधा सच बता रही है। सरकार जनता को पूरा सच बताये।
प्रेस से मुखातिब होते हुए गहलोत ने कहा, ‘ मैंने कहा था कि जनता के दबाव के आगे सरकार को झुकना पड़ा, लेकिन रिफाइनरी में हुई इस देरी से प्रदेश का नुकसान हुआ है। इस देरी के अपराध के लिए राजस्थान की जनता इनको कभी माफ़ नहीं करेगी। ‘
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘रिफाइनरी समय पर लगती तो इससे लाखों बेरोज़गारों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता, पेट्रोकेमिकल्स यूनिट लगतीं और प्रदेश का रेवेन्यू बढ़ता। 4 साल का जो नुक्सान हुआ उसका जवाब कौन देगा? अब आप कितने भी नाटक कर लो उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। ‘
एमओयू पर सवाल उठाते हुए गहलोत बोले, ‘एमओयू करने केंद्रीय स्तर के नेता जयपुर आये थे, उन्हें बताना चाहिए था कि आखिर रिफाइनरी से फ़ायदा कैसे होगा? इंटरनल रेट ऑफ इंटरेस्ट का पता नहीं, लाभ कब से मिलने लगेगा इसका पता नहीं। ‘
गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को नसीहत देते हुए कहा, ‘ दोनों एमओयू का अध्ययन एसबीआई कैप्स से कराएं जाएं। वसुंधरा जी की तो कभी नीयत ही नहीं रही रिफाइनरी लगाने की। रिफाइनरी ओएनजीसी को लगानी थी, लेकिन सरकार ने मेन्यूपेलेट किया। ‘
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उन्होंने कहा, ‘हमारे वक़्त इंटरनल रेट ऑफ़ रिटर्न 15 फ़ीसदी थी। एमओयू पर सरकार श्वेत पत्र जारी कर दे तो बढ़िया। बीस साल में जीडीपी में 8.78 लाख करोड़ का एडिशन होता यदि तय समय पर काम होता तो 3 लाख करोड़ टैक्स रेवेन्यू भी आता।’