कोटा में चाइनीज मांझे की धड़ल्ले से बिक्री, निगम अधिकारियों को शिकायत का इंतजार

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा।
राजस्थान के कोटा में मकर संक्रांति का पर्व आज मनाया जा रहा है। शहर में सुबह से ही पतंगबाजी का दौर शुरू हो गया, जो दोपहर से शाम ढले तक अपने चरम पर रहने वाला है। साथ ही पतंगबाजी के बीच उस चाइनीज मांझे का कहर जारी है, जिसकी बिक्री पर जिला मजिस्ट्रेट के कई प्रतिबंधात्मक आदेश के बावजूद स्वायत शासन संस्थान कोटा नगर निगम सहित पुलिस और अन्य सरकारी महकमें रोक लगा पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं।

चाइनीज मांझा की बिक्री-खरीद पर पूर्ण रोक के बावजूद इसके लगातार बिक्री और वह भी खुलेआम होती रही, जो कल से अब तक अपने चरम पर है। कोटा के परकोटे वाले पुराने हिस्से के मकबरा, घंटाघर, पाटनपोल, कैथूनीपोल, पुरानी सब्जी मंडी सहित परकोटे के बाहर के छावनी-रामचन्द्रपुरा, कोटडी-गोवर्धनपुरा, किशोरपुरा नयापुरा, भीमगंजमंडी, कंसुआ, इंदिरा गांधी नगर, गोविंद नगर, संजय गांधी नगर ही नहीं बल्कि शहर के दादाबाड़ी, विज्ञान नगर, केशवपुरा, अनंतपुरा आदि में भी व्यापक पैमाने पर चाइनीज मांझे की खुले आम बिक्री होती रही है, जो आज भी जारी है।

जिला मजिस्ट्रेट ओपी बुनकर ने पिछले दिनों बैठक में चाइनीज मांझे के विपणन-उपयोग पर सख्ती से रोक के दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन इस आदेश पर अमल की मुख्य जिम्मेदारी निभाने वाले दोनों नगर निगमों के अधिकारियों पर कोई असर हुआ हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता। नगर निगम के अधिकारियों ने यह तो सूचना जारी की है कि, चाइनीज मांझे की बिक्री की जानकारी मिलने के बाद कार्यवाही की जाएगी।

लेकिन, बीते दिनों में कहां-कहां कार्यवाही कर प्रतिबंधित चाइनीज मांझा जब्त किया गया, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई सूचना नहीं दी गई है। पतंग-डोर-माझा की बिक्री के प्रमुख केंद्र मकबरा-टिपटा-घंटाघर सहित शहर भर के बाजारों में सैकड़ों पतंगों की दुकानों पर प्रतिबंधित चाइनीज मांझा की बिक्री की जा रही है। लोगों की मांग पर दुकानदार बेच रहे हैं।

बीते तीन-चार दिन से इसकी खरीद-फरोख्त जोरों पर है, लेकिन किसी ने नगर निगम के अधिकारी को ‘सूचना नहीं दी, इसलिए कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति यह है कि अब तो कई जगह पर प्रशासनिक ढिलाई की वजह से खुलेआम चाइनीस मांझा धड़ल्ले से बिक रहा है। यह दीगर बात है कि सरकारी प्रतिबंधों के चलते अब इसकी भी कालाबाजारी भी होने लगी है। इसका एक गिट्टा 500 से 700 रुपए में मिल पा रहा है।

इसके कारोबार के लिए जितने दोषी इसके विक्रेता हैं, उससे कहीं ज्यादा दोषी वे लोग हैं जो केवल चाइनीज मांझा की खरीद कर ही पतंगबाजी करने में यकीन करते हैं। उनका विश्वास है कि आमतौर पर बाजार में मिलने वाले देशी मांझे की तुलना में चाइनीस मांझा बहुत अधिक मजबूत है। इससे दूसरों की अधिक से अधिक पतंगे काटी जा सकती है। उनकी इसी मानसिकता का लाभ विक्रेता उठा रहे हैं और चाइनीज मांझा की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।

हालांकि इस चाइनीज मांझे पर रोक के लिए अपनी ओर से कुछ सामाजिक संगठनों ने भी जरूर पहल की है, लेकिन चूंकि उनके पास कोई प्रतिबंधात्मक शक्तियां नहीं है। इसलिए उनके प्रयास सार्थक साबित नहीं हो सके हैं। कोटा के प्रमुख धार्मिक स्थल थेगड़ा के शिवपुरी धाम ने चाइनीज मांझे की खरीद-फरोख्त के खिलाफ अभियान चलाया था और यह लगातार प्रचारित किया गया कि यह माझा मानवता के खिलाफ है।

इससे ना केवल पतंगबाजी करने के शौकीन लोग घायल हो जाते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में निर्दोष-निरीह पखेरू भी इसके शिकार होते हैं। यह अब तक न जाने कितने पक्षियों की जान ले चुका है। शिवपुरी धाम आने वाले श्रद्धालुओं से भी प्रतिदिन यह अपील की जाती रही है कि वह अपने-अपने इलाकों में लोगों को इस मांझे का उपयोग करने से रोके।

भारतीय जनता पार्टी के भी कार्यकर्ताओं ने एक टोली बनाकर शुक्रवार को कोटा शहर में पुरानी सब्जी मंडी, मकबरा, पाटनपोल, टिपटा, नयापुरा, छावनी आदि इलाकों में दौरा करके वहां पतंग मांझा बेचने वाले दुकानदारों को गुलाब का फूल भेंट में देकर चाइनीज मांझा नहीं भेजने का अनुरोध किया था। ताकि किसी को इस मांझे की वजह से नुकसान नहीं हो और मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के माहौल में मनाया जा सके।

लेकिन, ऐसी अपील अब तक स्वीकार्य साबित होती हुई नजर नहीं आ रही। कोटा के एक स्वयंसेवी संगठन ने पगमार्क फाउंडेशन ने चाइनीज मांझा के उपयोग के वजह से घायल होने वाले पक्षियों के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल पहुंचाने हेतु बाइक एंबुलेंस की भी व्यवस्था की हुई है। लोगों से यह आग्रह किया गया है कि यदि उन्हें घायल पक्षी मिलते हैं, तो इसकी सूचना देकर बाइक एंबुलेंस को बुलायें, ताकि घायल पक्षी का अस्पताल ले जाकर इलाज करवाया जा सके।

जवाहर नगर स्थित एक अन्य स्वयंसेवी संगठन ने भी ऐसे ही घायल पक्षियों के लिए आज मकर संक्रांति के दिन चिकित्सा शिविर लगाने की व्यवस्था की है। कोटा के चिड़ियाघर में भी मकर संक्रांति के दिन घायल पक्षियों के इलाज के लिए खास तौर से केयर टेकर और चौकीदार सहित अन्य स्टाफ को उपलब्ध रहने को कहा गया है।