नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की नवीनतम बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार 2014 से 2019 के बीच भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था (digital economy) सामान्य अर्थव्यवस्था की तुलना में 2.4 गुना तेजी से बढ़ी और लगभग 6.24 करोड़ नौकरियां पैदा कीं। डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार 2014 में 107.7 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2019 में 222.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।
पूर्ण अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2014 से 2019 के बीच 15.62 प्रतिशत की वृद्धि दर (वार्षिक चक्रवृद्धि, सीएजीआर) प्रदर्शित की, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था (जीवीए) 6.59% की चक्रवृद्धि दर से सालाना बढ़ी। आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग के इस लेख में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2.4 गुना तेजी से बढ़ी है।
भारत की मुख्य डिजिटल अर्थव्यवस्था (हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर प्रकाशन, वेब प्रकाशन, दूरसंचार सेवाएं और विशेष और सहायक सेवाएं) में वृद्धि हुई है। यह 2014 में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) का 5.4 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 8.5 प्रतिशत हो गई।
नियंत्रण एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने पाया है कि अगस्त 2015 छोड़ा गया जीसैट-6 उपग्रह काफी हद तक अप्रयुक्त रहा है, क्योंकि जमीन पर उसके डाटा को संसाधित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं तैयार नहीं हैं।
केंद्र सरकार के वैज्ञानिक और पर्यावरण मंत्रालयों/विभागों पर कैग के अनुपालन लेखापरीक्षा के अनुसार अंतरिक्ष विभाग ने 508 करोड़ रुपये की लागत से जीसैट-6 को प्रक्षेपित किया था, लेकिन इसके जमीनी खंड के तैयार न होने से उपग्रह का वांछित उपयोग करने में असमर्थ रहा। संसद में मंगलवार को पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि बिना समुचित उपयोग के ही उपग्रह का आधा समय निकल गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) के क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक एन. सुधीर कुमार ने कहा, हमें रिपोर्ट को ठीक से पढ़ना होगा और उसमें उठाए गए बिंदुओं का विश्लेषण करना होगा। किसी भी तरह, विभाग रिपोर्ट में सुझाव के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेगा।