इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्नीक कॉलेजों में शुरू होगा मल्टी एन्ट्री, मल्टी एक्जिट सिस्टम

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जयपुर। तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि आगामी सत्र से प्रदेश के पॉलिटेक्नीक्स और इंजीनियरिंग कॉलेजों में मल्टी एंट्री,मल्टी एग्जिट, मल्टी डिसीप्लिनरी योजना लागू कर दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि इससे उन छात्र-छात्राओं को लाभ होगा, जिनकी पढ़ाई किसी कारणवश बीच में ही छूट गई और वे फिर से दाखिला लेकर कोर्स पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि जहां तक उन्होंने पहले पढ़ाई की थी, वे उसके अगले स्तर पर फिर से दाखिला ले सकेंगे।

गर्ग बुधवार को तकनीकी शिक्षा भवन में राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में मल्टी एंट्री,मल्टी एग्जिट, मल्टी डिसीप्लिनरी योजना के ड्राफ्ट पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह योजना युवाओं के लिए बहुत हितकारी साबित होगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के कुछ घटकों को लागू करने की दिशा में यह योजना लागू की जा रही है।

उन्होंने पॉलिटेक्निक के साथ-साथ प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी यह सिस्टम लागू करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग का एक साल पूरा करने वालों को सर्टिफिकेट, दो साल वालों को एडवांस सर्टिफिकेट, तीन साल की पढ़ाई पूरी करने वालों को डिप्लोमा तथा 4 साल वालों को डिग्री देने का विचार किया गया है।

उन्होंने बताया कि इसमें ऐसे युवा छात्र-छात्राओं को भी लाभ होगा जो पहले साल में प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर पास नहीं कर पाए। यह छात्र-छात्राएं कोई भी अन्य शाखा चुन कर नए सिरे से पढ़ाई शुरू कर सकते हैं।

तृतीय और चतुर्थ सेमेस्टर पास नहीं कर पाए छात्र छात्राओं को भी इच्छित शाखा चुनने और एक्स्ट्रा क्रेडिट का लाभ दिया गया है। इसी प्रकार पांचवें व छठे सेमेस्टर पास नहीं कर पाने वालों को भी एक्स्ट्रा क्रेडिट्स की सुविधा दी गई है ।

डॉ. गर्ग ने कहा कि इस योजना के तहत ऐसे युवा, जो किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं और दसवीं पास हैं, वे अपनी पसंद के विषय में क्षमता संवर्धन के लिए पॉलीटेक्नीक्स कोर्स में एडमिशन ले सकेंगे। कोर्स में दाखिले के लिए दसवीं के प्राप्तांक को 60%, कार्य अनुभव को 20% तथा तकनीकी जानकारी को 20% का वेटेज दिया जाएगा।

इन विद्यार्थियों के सफलतापूर्वक कोर्स खत्म करने पर उन्हें शैक्षणिक क्रेडिट सर्टिफिकेट और स्किल सर्टिफिकेट दिए जाएंगे, जिससे आगे उन्हें रोजगार प्राप्त करने में आसानी होगी और रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।

मांग के अनुरूप डिजाइन हों नए पाठ्यक्रम: तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि इंजीनियरिंग तथा पॉलीटेक्नीक्स में ऐसे पाठ्यक्रम डिजाइन किये जाएं, जो उद्योगों की मांग के अनुरूप हों। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों की संख्या से ज्यादा उनकी गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण है। पाठ्यक्रमों में थ्योरी से ज्यादा प्रेक्टिकल भाग हो। साथ ही कोर्स ऐसे हों जो लोग अपनी आजीविका के लिए कर रहे कामों के साथ साथ कर सकें। उन्होंने कमेटी बनाकर पाठ्यक्रमों के प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिये।

टेक्नीकल यूनिवर्सिटी का डेटा ऑनलाइन हो: डॉ. गर्ग ने बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर का सारा डेटा अब तक ऑनलाइन नहीं करने पर असंतोष व्यक्त किया और निर्देश दिये कि जल्दी से जल्दी सारा डेटा ऑनलाइन अपलोड़ किया जाए तथा विद्यार्थियों को डुप्लिकेट मार्कशीट, मार्कशीट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट और डिग्री ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध हों।

बैठक में तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव भवानी सिंह देथा, संयुक्त सचिव डॉ. मनीष गुप्ता, निदेशक तकनीकी शिक्षा आलोक बंसल, तकनीकी शिक्षा बोर्ड की संयुक्त निदेशक एवं सचिव रंजू गुप्ता, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के डीन प्रो. डी के पलवालिया, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के डीन संजीत कुमार, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार बीआर छंगानी तथा राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रहलाद मीणा के अतिरिक्त तकनीकी शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।