नई दिल्ली। सेबी (SEBI) ने देश का सबसे बड़ा आईपीओ (IPO) लाने के लिए एलआईसी (LIC) को हरी झंडी दे दी है। एलआईसी ने पिछले महीने इसके लिए आवेदन किया था। रिपोर्ट के मुताबिक सेबी ने इसके लिए ऑब्जरवेशन लेटर (observation letter) जारी कर दिया है। सरकार इसी वित्त वर्ष में यह आईपीओ लाना चाहती है।
इस आईपीओ के लिए एलआईसी ने पिछले महीने सेबी के पास मसौदा दस्तावेज जमा कराए थे। इसके मुताबिक सरकार इसमें 31,62,49,885 इक्विटी शेयरों की बिक्री करेगी। कंपनी की पूरी हिस्सेदारी सरकार के पास है। इस इश्यू में कुल 50 फीसदी हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व होगा। इसी तरह 15 फीसदी हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल बायर्स के लिए होगा जबकि 35 फीसदी हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए आरक्षित होगा। कर्मचारियों और पॉलिसीहोल्डर्स के पास भी सस्ते में शेयर पाने का मौका होगा। एंकर पोर्शन में एक तिहाई हिस्सा घरेलू म्युचुअल फंड्स के लिए आरक्षित होगा।
पॉलिसीधारकों के लिए कितना हिस्सा
मीडिया में कुछ इस तरह की रिपोर्ट आई हैं कि सरकार इस इश्यू को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है। इसकी वजह यह है कि रूस-यूक्रेन लड़ाई की वजह से शेयर बाजार में भारी उथलपुथल देखने को मिल रही है। माना जा रहा था कि सरकार एलआईसी में पांच फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। इससे उसके 60,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि मिल सकती है। सेबी की मंजूरी अगले 12 महीने तक के लिए वैलिड है।
सेबी के पास जमा कराए गए दस्तावेजों के मुताबिक एलआईसी के आईपीओ में 10 फीसदी तक हिस्सा पॉलिसीहोल्डर्स के लिए और पांच फीसदी कर्मचारियों के लिए आरक्षित होगा। यह इश्यू पूरी तरह ऑफर फॉर सेल होगा। यानी इसमें नए शेयर जारी नहीं किए जाएंगे। हाल में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में में एलआईसी में ऑटोमेटिक रूट से 20 प्रतिशत तक एफडीआई की मंजूरी दी गई थी। इससे एलआईसी में विदेशी निवेश का रास्ता खुल गया है।