सरकार तय करेगी बड़े होटलों की थाली में खाना

0
नई दिल्ली ।  होटलों में एक शख्स को एक थाली में कितना खाना परोसा जाए, सरकार यह तय करने जा रही है। इसके 2 मकसद हैं। पहला- होटलों में खाने की बर्बादी कम करना। दूसरा- लोग जितना खाएं, उसी का पैसा चुकाएं। नियम लागू होने के बाद मैन्यू में लिखा होगा कि परोसे जाने वाले खाने की मात्रा कितनी है। नियम बनाने से पहले देशभर में सर्वे कर सभी पक्षों से जानकारी ली जाएगी। इसमें लोगों की खुराक, कितनी बार खाना छोड़ते हैं, क्या एक आर्डर पर अलग जगहों पर अलग मात्रा मिलती है? जैसे 25 से 30 सवाल होंगे।
ढाबों और छोटे होटलों को रहेगी इससे छूट
मामले में कन्ज्यूमर मिनिस्ट्री के एक अफसर ने कहा कि ज्यादा मात्रा में खाना परोसे जाने की कीमत लोग क्यों चुकाएं? अगर क्वांटिटी कम होगी तो कीमत भी कम होगी। किसी को ज्यादा चाहिए तो दोबारा ले सकता है। नया नियम 6 महीने में लागू हो सकता है। ढाबों और छोटे होटलों को इससे छूट होगी।
बड़े होटलों में परोसा जाता है ज्यादा खाना
न्यूट्रीशनिस्ट  के मुताबिक, एक दिन में एक आदमी को 2 हजार कैलोरी और महिलाओं को 1500 से 1800 कैलोरी चाहिए। एक वक्त के खाने में एक शख्स को 75 ग्राम आटा या तीन रोटी, 30 ग्राम दाल, 35 ग्राम सब्जी, 25 ग्राम सलाद और 50 ग्राम दही भरपूर है। बड़े होटलों में इस लिहाज से ज्यादा खाना दिया जाता है।

सोयाबीन की आवक 6 महीने के निचले स्तर पर, सॉल्वेंट इकाइयों की क्रशिंग भी घटी

0
कोटा। घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों में आई भारी गिरावट की वजह से मंडियों में किसानों की बिकवाली में भारी कमी आई है जिस वजह से सॉल्वेंट इकाइयों की तरफ से सोयाबीन की क्रशिंग भी घटी है, देश में सोयाबीन इंडस्ट्री के संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानि SOPA की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मार्च के दौरान सोयाबीन की आवक 6 महीने के निचले स्तर पर दर्ज की गई है।
SOPA के मुताबिक मार्च के दौरान देशभर की मंडियों में सिर्फ 5 लाख टन सोयाबीन की आवक दर्ज की गई है जो सितंबर 2016 के बाद सबसे कम मासिक आवक है। फरवरी के दौरान आवक 6.5 लाख टन दर्ज की गई थी जबकि जनवरी में करीब 9 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई थी। SOPA के मुताबिक कम आवक की वजह से मार्च के दौरान सॉल्वेंट इकाइयों की तरफ से सोयाबीन की क्रशिंग भी 6 महीने के निचले स्तर पर रही है, मार्च में सिर्फ 6.5 लाख टन सोयाबीन की क्रशिंग हो पायी है।
अक्टूबर से शुरू हुए फसल वर्ष 2016-17 में अबतक सोयाबीन की कुल 54.50 लाख टन की आवक हुई है जिसमें से 46 लाख टन की क्रशिंग हो चुकी है, 1.38 लाख टन का एक्सपोर्ट हुआ है, करीब 60,000 टन सीधे खपत में इस्तेमाल हुआ है  SOPA के मुताबिक इस साल देश में कुल 114.91 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है साथ में पिछले साल का करीब 4.41 लाख टन स्टॉक भी बचा हुआ था, यानि कुल सप्लाई 119.32 लाख टन है जिसमें से 12 लाख टन किसानों ने अगले सीजन में बुआई के लिए रखा हुआ है और मार्केट में सप्लाई के लिए 107.32 लाख टन स्टॉक बचा रहता है, इस 107 लाख टन में से किसानों के पास अब भी करीब 50.52 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है और करीब 8.52 लाख टन सॉल्वेंट इकाइयों के पास पड़ा हुआ है।

30,500 किसानों ने मूल्य जोखिम के खिलाफ हेज करने के लिए एनसीडीईएक्स का उपयोग किया

0
मुंबई । हालिया महीनों में राष्ट्रीय कृषि और डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) की अग्रणी कृषि वस्तु विनिमय ने अपने मंच पर किसानों की भागीदारी में वृद्धि देखी है। पहली बार, कमोडिटी वायदा की स्थापना के बाद से, 29 एफपीओ से 30,500 किसानों ने अपने उत्पादन की कीमत में बचाव और लॉक करने के लिए मंच का इस्तेमाल किया है। लगभग 1100 से ज्यादा किसानों ने संरचित वित्त तक पहुंच का लाभ लिया है,
 
“बाजार पहुंच किसानों की आमदनी में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और कीमत जोखिम प्रबंधन के लिए वायदा एक महत्वपूर्ण उपकरण है यह वास्तव में बेहद खुशीजनक है कि किसानों को उनके उपकरण में लगभग 15-20% की वृद्धि देखने के लिए इस उपकरण का न्यायपूर्ण उपयोग देखने को मिल रहा है। एनसीडीईएक्स के एमडी और सीईओ  समीर शाह ने कहा, हम किसानों को अपने बाजारों से जुड़ने के लिए आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
एनसीडीईएक्स पर वायदा खंड 31 मार्च को ओ-वाई-वाई के मुकाबले खुली ब्याज में लगभग 10% की वृद्धि दर्ज किया गया था। इस महीने की औसत खुली ब्याज पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4234.13 करोड़ रुपये से 4778.55 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। कृषि वायदा विभाग ने मासिक कुल मात्रा 64077.48 करोड़ रूपये दर्ज की है। शीर्ष तीन वस्तुओं में ग्वार बीज, केस्टर और परिष्कृत सोया तेल शामिल थे।
मार्च 2017 के लिए गुड़ के बीज के लिए कुल कारोबार का आकार रु। 12684.58 करोड़ के साथ 158.41% वाई-ओ-वाई वृद्धि हुई है, जबकि केस्टर के बीज के लिए रुपये था। 10382.43 करोड़ (समान अवधि पिछले वर्ष के अनुबंध व्यापार के लिए उपलब्ध नहीं थे), और परिष्कृत सोया तेल 8.875% वाई-ओ-वाई गिरावट के साथ 8757.19 करोड़ रुपये रहा। एक्सचेंज मंच ने मार्च 2017 में 59,401 टन माल का वितरण किया।
• एक्सचेंज में पंजीकृत 165,000 से अधिक किसान। • मार्च 31, 2017 तक वायदा सेगमेंट में ओपन इंटरेस्ट 9.18% से अधिक बढ़ गया। • मार्च 2017 के महीने के लिए औसत कुल कारोबार 2785.98 करोड़ रुपये था।

गेल इंडिया के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लेंडिंग

तकनीकी खराबी के कारण नया नोहरा के पास खेत में की इमरजेंसी लेंडिंग

कोटा।  गेल इंडिया लिमिटेड के हेलीकॉप्टर की  तकनीकी खराबी के चलते खेत में इमरजेंसी लेंडिंग करनी पडी। इमरजेंसी लेंडिंग बारां रोड पर सेमकोर फेक्ट्री के पीछे खेत में की गयी। हेलीकॉप्टर गेल की पाइपलाइनों की रूटीन पेट्रोलिंग पर था  हेलीकॉप्टर में सवार गेल इंडिया लिमिटेड के तीन कर्मचारी  सकुशल है। यह विजयपुर से छबडा अटरू बोरडी हाते हुए गढेपान की पेट्रोलिंग पर था तभी तकनीकी खराबी आ जाने से नया नोहरा के पास खेत में इमरजेंसी लेंडिंग करनी पडी। सुचना पर बोरखेडा थाने के सीआई लोकेन्द्र पालीवाल भी मौके पर पहुंचे। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नई कंपनियों को एक दिन में जारी किया पैन

नई दिल्‍ली । आयकर विभाग ने कहा है कि उसने 31 मार्च 2017 तक नई बनी 19,704 कंपनियों को एक दिन के भीतर स्थाई खाता संख्या (पैन) जारी कर दी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ठोस रूप में उपलब्ध पैन कार्ड के साथ ही इलैक्ट्रॉनिक पैन (ई-पैन) कार्ड भी पेश किए हैं।
ये कार्ड व्यक्तिगत आवेदकों सहित सभी आवेदकों को ई-मेल से भेज दिए गए। आयकर विभाग के नीतियां बनाने वाले शीर्ष निकाय सीबीडीटी ने एक बयान में कहा, ‘डिजिटल हस्ताक्षर वाले ई-पैन कार्ड के माध्यम से आवेदक को फायदा होगा। इसे वह अन्य एजेंसियों को पहचान पत्र के रूप इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सीधे भेज सकते हैं या इसे डिजिटल लॉकर में सुरक्षित भी रख सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि नई बनी कंपनियों को कर कटौती खाता संख्या (टैन) भी पैन के साथ जारी कर दिया गया। सीबीडीटी ने इसके लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से समझौता किया है जिसके तहत कंपनियां पैन और टैन के लिए एक साझा फॉर्म भर सकती हैं। बयान के मुताबिक 31 मार्च 2017 तक नई बनी 19,704 कंपनियां को इस तरीके से पैन जारी किया गया।
अकेले मार्च 2017 में 10,894 नई कंपनियों को पैन जारी किया गया। इसमें 95.63 प्रतिशत आवेदकों को चार घंटे की अवधि में और सभी को एक ही दिन के भीतर पैन जारी किया गया। इसी प्रकार इन कंपनियों को टैन संख्या भी जारी की गई। इसमें 94.7 प्रतिशत को चार घंटे में और 99.73 प्रतिशत को एक ही दिन में यह संख्या जारी की गई।

विद्युत उत्पादन निगम को निजी हाथों में सौंपा तो जनता को मिलेगी महंगी बिजली

वार्ता : आरवीयूएन संयुक्त संघर्ष समिति की कोर टीम मंगलवार को उर्जा राज्य मंत्री एवं सीएमडी से मिली। आंकडें देकर बताया कि सभी पावर प्लांट लाभ में चल रहे, फिर विनिवेश की जल्दबाजी क्यों!

कोटा। राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. (आरवीयूएनएल) के निजी क्षेत्र में विनिवेश का विरोध कर रही संयुक्त संघर्ष समिति के 11 सदस्यीय प्रतिनिधीमंडल ने मंगलवार को उर्जा राज्य मंत्री पुष्पेंद्र सिंह एवं सीएमडी एनके कोठारी से वार्ता की। समिति के संरक्षक जीएस भदौरिया ने बताया कि राज्य के सभी पावर प्लांटों पर अधिकारी, इंजीनियर्स एवं कर्मचारी उत्पादन निगम के बिजलीघरों को निजी हाथों में सौंपने के निर्णय का जनांदोलन कर कड़ा विरोध कर रहे हैं। समिति ने सामूहिक निर्णय से 11 अप्रैल को जयपुर में विद्युत भवन पर राज्य स्तरीय धरने का निर्णय लिया था। इसकी सूचना 20 दिन पूर्व प्रशासन को देकर अनुमति ले ली गई थी। इसके बावजूद निगम प्रशासन ने दमनकारी रवैया अपनाते हुए सभी इंजीनियर्स, अधिकारियों व कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन किया। प्रशासन ने एक दिन पूर्व आदेश जारी कर 11 अप्रैल को अवकाश की अनुमति नहीं दी। इससे सूरतगढ, झालावाड, छबडा, कोटा, धौलपुर, गिरल, बांसवाड़ा सहित सभी पॉवर प्लांटों में इंजीनियर्स एवं कर्मचारियों ने वर्क-टू-रूल पर अमल करते हुए आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया। समिति ने उर्जा राज्य मंत्री को बताया कि लाभ में चल रहे पॉवर प्लांटों का निजी हाथों में विनिवेश करने  से जनता पर महंगी बिजली का भार पडे़गा। इसलिए जनहित में इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए। अगले एक वर्ष में सभी बिजलीघर पहले से अधिक एवं सस्ती बिजली उत्पादन करने में सक्षम हैं। उर्जा राज्य मंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर आम जनता के हित में सकारात्मक रूख अपनाएंगे। संयुक्त संघर्ष समिति ने वार्ता के बाद विद्युत भवन के घेराव को अगले 15 दिन के लिए स्थगित किया। इस दौरान सरकार से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला तो 26 अप्रैल को विनिवेश के विरोध में विद्युत भवन पर विशाल धरना एवं प्रदर्शन किया जाएगा।

टैक्स के सभी आंकड़े होंगे सुरक्षित : जीएसटी नेटवर्क ने उद्योग जगत को किया आश्वस्त

नई दिल्ली ।देश में वस्तु और सेवाकर के समूचे नेटवर्क का रखरखाव करने वाली कंपनी जीएसटी नेटवर्क ने उद्योग जगत को आश्वस्त किया है कि उनके सभी आंकड़े और जानकारी नेटवर्क में कोड लैंग्वेज में सुरक्षित होगी। उसे केवल टैक्स पेयर्स और असेसमेंट ऑफिसर ही देख सकेंगे। जीएसटी-एन के सीईओ प्रकाश कुमार ने कहा कि सभी आंकड़े दो स्तरीय सुरक्षा ढांचे में रखे जाएंगे।
पीएचडी वाणिज्य और उद्योग मंडल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुमार ने उद्योगों को आश्वस्त किया कि जीएसटीएन सबसे बेहतर सुरक्षा प्रणाली वाले ढांचे को अपनाएगा। उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है क्योंकि जो भी चालान इसमें डाला जाएगा उसमें वस्तु की कीमत भी शामिल होती है। हम इस बात को समझते हैं कि आपके प्रतिस्पर्धी को यदि इसकी जानकारी लगती है तो यह आपके लिए परेशानी की बात होगी।’
कुमार ने कहा, ‘इसलिए जो भी जानकारी हमारे पास होगी वह कंप्यूटर की कोडेड लैंग्वेज में होगी और उसके लिए हर संभव बेहतर सुरक्षा प्रणाली को इसमें रखा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि कोई भी अन्य इन आंकड़ों को नहीं देख सकेगा। अंतिम कुमार ने कहा कि जीएसटीएन मध्य-मई तक केंद्र और राज्यों के 60 हजार अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का काम पूरा कर देगा ताकि उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी आधारित नई जीएसटी प्रणाली के लिये तैयार किया जा सके।

रिश्तेदार को मकान का किराया देते हैं, तो टैक्स छूट के लिए देना होगा सबूत

मुंबई । अगर आप अपने रिश्तेदार को मकान का किराया देते हैं तो टैक्स छूट पाने के लिए आपको इसका सबूत देना होगा। दरअसल टैक्स के दायरे में आने वाले लोग अपने पारिवारिक सदस्यों को किराया देने का दावा करके इनकम टैक्स में छूट पाने की कोशिश करते हैं।
हाल ही में  मुंबई इनकम टैक्स अपेलट ट्राइब्यूनल ने एक करदाता के आवास किराया भत्ता के दावे को ये कहकर खारिज कर दिया कि उसके पास पर्याप्त सबूत नहीं है। करदाता का कहना था कि वो अपना मां को किराया देती है। पारिवारिक सदस्यों या रिश्तेदारों को किराया देना गैरकानूनी नहीं है लेकिन अगर टैक्स के लिए इसका दावा गलत साबित होता है तो आयकर विभाग आपका दावा खारिज कर सकता है। आप छूट का दावा तभी कर सकते हैं जब जहां आप रह रहे हैं उस प्रॉपर्टी पर आपका मालिकाना हक न हो और वहां रहने के लिए आप सच में किराया चुका रहे हों।
इस अलावा अगर आयकर अधिकारियों ने आपके दावे को गलत माना तो आयकर भुगतान में देरी की वजह से आपको अतिरिक्त शुल्क ब्याज के रूप में तो देना ही पड़ेगा। इसके अलावा अपनी आमदनी छिपाने के जुर्म में आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।  अगर आप कानून की धारा 10 (13A) के तहत आयकर में छूट पाना चाहते हैं तो ये सुनिश्चित कर लें कि आप कैश का भुगतान बैंकिंग चैनल्स के माध्यम से करें। इसके अलावा आप लीव ऐंड लाइसेंस अग्रीमेंट भी बनवा लें तो बेहतर है।

अब पटरियों पर अपनी निजी मालगाड़ी दौडाएंगी प्राइवेट कंपनियां

मुंबई। अब वह दिन दूर नहीं जब आपको कॉर्पोरेट घरानों की मालगाड़ियां दौड़ती नजर आएं। दरअसल भारतीय रेल जल्द निजी कंपनियों को अपनी खुद की मालगाड़ी चलाने की इजाजत दे सकती है।इन गाड़ियों के लिए कंपनियों को खुद ही के टर्मिनल का उपयोग करना होगा।
सरकार के इस कदम से भारतीय रेल की एकाग्रिता कम होगी। रेलवे के अधिकारी के अनुसार सीमेंट,स्टील,ऑटो,लोजिस्टिक जैसी कंपनियों ने अपनी रेल चलाने की इजाजत मांगी है।निजी क्षेत्र के इस मैदान में कूदने से 20 से 25 मिलियन टन की भार क्षमता में बढ़ोतरी होगी। अधिकारी ने बताया की ये प्रयोग सफल होने पर यात्री गाड़ियों को भी निजी ऑपरेटरों द्वारा चलाया जा सकता है।
गौरतलब है कि टाटा स्टील,अदानी एग्रो और कृभको के अपने खुद के टर्मिनल मौजूद हैं। रेलवे ने 55 निजी ऑपरेटरों के टर्मिनल की 5000 करोड़ के निवेश से इजाजत दे दी है। स्कीम के तहत कंपनियों को अपनी मालगाड़ी चलानी होगी और रेलवे इसको चलाएगी। जबकि कंपिनयों को ट्रेक के रखरखाव का खर्च देना होगा।

जामताड़ा में आलू-प्याज से भी सस्ते बिकते हैं काजू

0
कोटा। काजू खाने या खिलाने की बात आते ही आमतौर पर लोग जेब टटोलने लगते हैं. ऐसे में कोई कहे कि काजू की कीमत आलू-प्याज से भी कम है तो आप शायद ही विश्वास करेंगे. यानी अगर आप दिल्ली में 800 रुपए किलो काजू खरीदते हैं तो यहां से 12 सौ किलोमीटर दूर झारखंड में काजू बेहद सस्ते हैं. जामताड़ा जिले में काजू 10 से 20 रुपये प्रति किलो बिकते हैं.
जामताड़ा के नाला में करीब 49 एकड़ इलाके में काजू के बागान हैं. बागान में काम करने वाले बच्चे और महिलाएं काजू को बेहद सस्ते दाम में बेच देते हैं. काजू की फसल में फायदा होने के चलते इलाके के काफी लोगों का रुझान इस ओर हो रहा है. ये बागान जामताड़ा ब्लॉक मुख्यालय से चार किलोमीटर की दूरी हैं.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि जामताड़ा में काजू की इतनी बड़ी पैदावार चंद साल की मेहनत के बाद शुरू हुई है.
इलाके के लोग बताते हैं जामताड़ा के पूर्व उपायुक्त कृपानंद झा को काजू खाना बेहद पसंद था. इसी वजह वह चाहते थे कि जामताड़ा में काजू के बागान बन जाए तो वे ताजी और सस्ती काजू खा सकेंगे.इसी वजह से कृपानंद झा ने ओडिशा में काजू की खेती करने वालों से मिले. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से जामताड़ा की भौगोलिक स्थिति का पता किया. इसके बाद यहां काजू की बागवानी शुरू कराई. देखते ही देखते चंद साल में यहां काजू की बड़े पैमाने पर खेती होने लगी.