मुंबई। आचार संहिता का अनुपालन नहीं करने एवं हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी चंदा कोचर ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आरोपों से इनकार किया है।
सेबी द्वारा भेजे गए कारण बताओ नोटिस के जवाब में कोचर ने कहा कि उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत के बीच कारोबारी सौदों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। कोचर ने 30 पृष्ठ के जवाब में विभिन्न आरोपों से अपना बचाव करने के तर्क एवं कारण बताए हैं। नियामक अब कोछड़ और बैंक के प्रतिनिधियों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाएगा।
चंदा कोचर ने कहा, ‘वीडियोकॉन समूह का दीपक कोचर के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हित जुड़े होने की बात को प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी के संज्ञान में नहीं लाया गया। दोनों का अपना पेशेवर जीवन है, ऐसे में वे अपने कारोबार की गोपनीयता प्रावधानों से बंधे थे।’
सूत्रों ने कहा कि आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप को गलत ठहराते हुए उन्होंने कहा कि सभी अपेक्षित जानकारियों का नियमों के तहत खुलासा किया गया। कोचर ने अपने जवाब में पूरा घटनाक्रम का विवरण दिया है।
कर्ज आवंटन में अपनी सीमित भूमिका, खासतौर पर वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के मामले में और कॉर्पोरेट ऋण मंजूरी प्रक्रिया के बारे में भी बताया गया है। उन्होंने कहा कि क्रेडिट समिति, स्वतंत्र निदेशक भी ऋण आवंटन के मामले को देखते हैं। रिकॉर्ड के अनुसार आईसीआईसीआई बैंक की क्रेडिट समिति ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को कर्ज की मंजूरी दी थी।
चंदा कोचर उस समय समिति की चेयरपर्सन नहीं थीं। उस समय 12 सदस्यीय समिति के प्रमुख तत्कालीन चेयरमैन केवी कामत थे। इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक ने 20 बैंकों के कंसोर्टियम द्वारा स्वीकृत 400 अरब रु. के ऋण का महज एक हिस्सा (32.5 अरब रुपये) दिया था।
कोचर ने स्पष्ट किया कि वह समिति का हिस्सा जरूर थी लेकिन उनके पास मताधिकार नहीं था। कोचर ने आगे कहा कि वह वीडियोकॉन समूह के ऋण आवंटन मामले में 30 बैठकों में से केवल 8 में ही शामिल हुई थीं।
उनके अनुसार ऋण के कंसोर्टियम आधारित उधारी में जाने के बाद समूह को कोई नया कर्ज नहीं दिया गया। कोचर ने कहा कि वीडियोकॉन समूह पर अब 28.1 अरब रुपये का बकाया है। समूह को 2017 में गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) करार दिया गया था।
उन्होंने कहा कि वीडियोकॉन और आईसीआईसीआई बैंक के बीच 1985 से ही कारोबारी संबंध हैं और वह 1984 में बैंक में बतौर प्रबंधन प्रशिक्षु आई थीं। वर्तमाल में कोचर स्वतंत्र जांच पूरी होने तक अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर हैं।

