विदेशी निवेशकों ने शेयर मार्केट से दिसंबर में 11,820 करोड़ रुपये निकाले

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नई दिल्ली। FPI Data: विदेशी निवेशकों (FPIs) ने इस दिसंबर के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार से ₹11,820 करोड़ ($1.3 बिलियन) की निकासी की है। यह मुख्य रूप से रुपये के तेज गिरावट के कारण हुआ है।

नवंबर में भी FPIs ने ₹3,765 करोड़ निकाले थे, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा। हालांकि अक्टूबर में FPIs ने ₹14,610 करोड़ का निवेश किया था, जिससे तीन महीने लगातार बड़ी निकासी (सितंबर: ₹23,885 करोड़, अगस्त: ₹34,990 करोड़, जुलाई: ₹17,700 करोड़) का सिलसिला टूटा था।

NSDL डेटा के अनुसार, इस साल अब तक कुल FPI आउटफ्लो ₹1.55 ट्रिलियन ($17.7 बिलियन) पहुंच चुका है। विश्लेषकों का कहना है कि इसका मुख्य कारण रुपये की गिरावट और साल के अंत में वैश्विक निवेशकों द्वारा पोर्टफोलियो पुनःसंतुलन (portfolio repositioning) है।

वी.के. विजयकुमार, चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, Geojit Investments: “इस साल रुपया लगभग 5% कमजोर हुआ है। ऐसे समय में FPIs अक्सर निवेश निकालते हैं।”

वकारजावेद खान, सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट, Angel One: “भारत-अमेरिका ट्रेड डील के अंतिम रूप में देरी ने वैश्विक निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है।”

विदेशी निवेशकों की निकासी के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने शेयर बाजार में ₹19,783 करोड़ का निवेश किया, जिससे विदेशी बिकवाली का पूरा असर खत्म हो गया। डीआईआई निवेशकों का भरोसा भारत की मजबूत GDP वृद्धि और कॉर्पोरेट कमाई में सुधार की उम्मीद से बना हुआ है।

RBI की दर कटौती से मिली राहत
5 दिसंबर को RBI ने 25 बेसिस पॉइंट्स की दर कटौती की, जिससे FPIs का फ्लो उस दिन ₹642 करोड़ का पॉजिटिव हो गया। इससे पहले 4 दिसंबर तक FPIs ने लगभग ₹13,000 करोड़ की बिकवाली की थी।

वकारजावेद खान के अनुसार, “RBI ने FY26 में विकास दर 7.3% रखने की भविष्यवाणी की और CPI को 2% तक घटाया। मजबूत आर्थिक वातावरण भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक है।”

CME Fed Watch Tool के अनुसार, FOMC अगले सप्ताह 25 बेसिस पॉइंट्स दर घटा सकता है, जो वैश्विक जोखिम संपत्तियों के लिए लाभदायक हो सकता है। भारत इस मामले में प्रमुख लाभार्थी हो सकता है, हालांकि भारत-अमेरिका ट्रेड डील का न होना जोखिम बना हुआ है।

डेट मार्केट में स्थिति
डेट मार्केट में FPIs ने ₹250 करोड़ सामान्य लिमिट के तहत निवेश किया और ₹69 करोड़ वॉलंटरी रिटेंशन रूट से निकाले। इस तरह, दिसंबर के पहले सप्ताह में FPIs ने बड़ी बिकवाली की, लेकिन घरेलू निवेशकों की खरीदारी और RBI की दर कटौती से बाजार में संतुलन बना रहा।