नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। जिसका असर घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ रहा है। बीते 15 दिनों के दौरान इनके थोक भाव 2 से 6 रुपये किलो बढ़ चुके हैं।
सबसे कम बढ़ोतरी सरसों तेल के दाम में हुई है। खाद्य तेल कारोबारियों के मुताबिक मलेशिया में उत्पादन घटने के बीच मजबूत मांग से खाद्य तेल महंगे हुए हैं। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि खाद्य तेलों की कीमतों में मजबूती के कई कारण हैं।
इस महीने मलेशिया में कम उत्पादन हुआ है। साथ ही बायोडीजल की मांग मजबूत है और चीन ब्राजील से बड़े पैमाने पर सोया तेल आयात कर रहा है। लिहाजा मांग बढ़ने से खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है।
ठक्कर ने कहा कि बीते 15 दिनों के दौरान घरेलू बाजारों में पाम तेल के थोक दाम 820 रुपये से बढ़कर 850 रुपये प्रति 10 किलो हो गए हैं। सोयाबीन तेल के थोक भाव 905 रुपये से बढ़कर 965 रुपये, सरसों तेल के भाव 1,050 रुपये से बढ़कर 1,070 रुपये, सूरजमुखी तेल के भाव 910 रुपये से बढ़कर 970 रुपये और मूंगफली तेल के दाम 1540 से बढ़कर 1570 रुपये प्रति 10 किलो हो गए हैं।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कूइट) के चेयरमैन सुरेश नागपाल कहते हैं कि देश में खाद्य तेलों के दाम काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड पाम तेल और पामोलीन की कीमतों में 2 से 5 फीसदी इजाफा हुआ है। जिससे घरेलू बाजार में देसी तेलों के दाम 2 से 6 रुपये किलो बढ़े हैं। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार दीवाली बाद देसी खाद्य तेलों की औसत खुदरा कीमतों में एक से दो रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

