मणिपुर में महिलाओं से हैवानियत पर संसद में विपक्ष का हंगामा

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नई दिल्ली। मणिपुर की हिंसा के दौरान महिलाओं से हुई हैवानियत के खिलाफ संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पूरे देश में जबरदस्त आक्रोश जाहिर करते हुए गुनहगारों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की एक सुर से आवाज उठाई गई।

महिलाओं से हैवानियत के वायरल हुए वीडियो से सामने आयी घटना को देश और मानवता के लिए कलंक बताते हुए विपक्षी दलों ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पर तत्काल दोनों सदनों के भीतर बयान देने की मांग करते हुए हंगामा किया।

संसद के दोनों सदनों में सभी कामकाज रोक सबसे पहले मणिपुर हिंसा पर तत्काल बहस की मांग करते हुए विपक्ष ने केंद्र और मणिपुर सरकार को विफल बताते हुए कठघरे में खड़ा किया। वहीं सरकार ने मणिपुर पर चर्चा कराने के लिए राजी होने की बात कहते हुए विपक्ष पर हंगामा कर सदन नहीं चलने देने का आरोप लगाया। मणिपुर पर उबाल को देखते हुए मानसून सत्र के पहले दिन ही सरकार और विपक्ष का टकराव तीखा हो गया और दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल पायी।

26 विपक्षी दलों के नए गठबंधन इंडिया के गठन के बाद सदन शुरू होने से पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई विपक्ष के नेताओं की हुई बैठक में ही तय हो गया कि प्रधानमंत्री का सदन के बाहर दिया गया बयान पर्याप्त नहीं है और दोनों सदनों में पीएम का बयान होना चाहिए। इसी रणनीति के तहत विपक्ष ने बैठक शुरू होते ही प्रधानमंत्री से बयान और कार्यस्थगन प्रस्ताव के चर्चा की मांग शुरू कर दी। राज्यसभा दो स्थगन के बाद दो बजे बैठी तो विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी हंगामे में एक विधेयक पारित हो गया।

खरगे ने जताया कड़ा एतराज
मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि उनके नियम 267 के तहत काम रोको प्रस्ताव के दिए नोटिस के बावजूद उन्हें मुद्दा उठाने नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा “मणिपुर जल रहा है, महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया जा रहा है, उन्हें नग्न घुमाया जा रहा है और प्रधानमंत्री चुप हैं, वह बाहर बयान दे रहे हैं।” वैसे सभापित जगदीप धनखड़ ने खरगे समेत तमाम विपक्षी सदस्यों के ऐसे नोटिस को नामंजूर कर दिया था। खरगे ने बाद में मणिपुर के मुख्यमंत्री का तत्काल इस्तीफा मांगते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की और आरोप लगाया कि राज्य के सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद करके मोदी सरकार और भाजपा ने लोकतंत्र को भीड़तंत्र बना दिया है।

प्रधानमंत्री को तोड़नी चाहिए सदन में चुप्पी
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने भी अपना आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में चुप्पी तोड़नी चाहिए। राज्यसभा में सदन के नेता वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्षी हंगामे के बीच कहा कि सरकार को कोई आपत्ति नहीं है और वह चर्चा के लिए तैयार है। विपक्ष के रवैये से यह स्पष्ट हो गया कि वे मन बनाकर आए हैं कि वे चर्चा नहीं करेंगे क्योंकि चिंतित हैं बंगाल की हिंसा और छत्तीसगढ़-राजस्थान में महिलाओं की दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

गोयल ने आरोप लगाया कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में भी कांग्रेस और उसके मित्रों ने बाधा डालने की कोशिश कि जिससे साफ है कि वे सदन की कार्यवाही रोकना चाहते हैं। लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड के वीडियो का मामला उठाते हुए नारेबाजी और हंगामा करते हुए पीएम से बयान और बहस की मांग की। इसके चलते सदन दो बार बाधित होने के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित हो गया। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि मणिपुर पर सरकार अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है मगर विपक्ष अपने हिसाब से चर्चा चाहता है और इससे साफ है कि वह बहस से भाग रहा है।