चांदी से भी महंगी है केसर, जानिए कितनी है कीमत

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नई दिल्ली। कश्मीर की पहचान केसर से भी है। भारत दुनिया का दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा केसर का उत्पादन करने वाला देश है। केसर की खेती जम्मू-कश्मीर में ही की जाती है। इस बार केसर के किसान इसलिए भी ज्यादा खुश हैं क्योंकि जीआई टैगिंग के बाद इसकी कीमत में काफी उछाल आया है।

केसर ने चांदी को भी पीछे छोड़ दिया है। जहां पहले केसर की कीमत 1 लाख से दो लाख रुपये प्रतिकिलो हुआ करती थी। वहीं इस बार यह 3 लाख के आंकड़े को पार कर गई है।केसर की कीमतों को देखकर कहा जा सकता है कि अगर इसे धरती पर उगने वाला सोना कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस समय केसर का 10 ग्राम का पैकेट 3250 रुपये में मिल रहा है। इस हिसाब से चांदी की कीमत केसर से कम है। इस इजाफे का किसानों का खासा फायदा मिल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कश्मीर घाटी में हर साल करीब 18 लाख टन केसर का उत्पादन होता है।

केसर की जीआई टैगिंग के बाद दुनियाभर के बाजारों में इसकी मांग बढ़ गई है। इस वजह से केसर की कीमत में भी उछाल आया है। अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कई देशों में केसर की भारी मांग रहती है। ठंडे देशों में केसर को ज्यादा पसंद किया जाता ह।

कैसे होती है खेती
केसर की कीमतों को देखते हुए इसे ‘लाल सोना’ भी कहा जाता है। सोने की तरह केसर भी तोले में बेचा जाता है। कश्मीर के पंपोर में केसर की खेती ज्यादा होती है। इसके अलावा बडगाम और श्रीनगर में भी केसर की खेती की जाती है। कश्मीर में पाई जाने वाली लाल मिट्टी इसके लिए काफी उपयुक्त है। इसके अलावा ठंडा मौसम केसर की खेती के लिए अच्छा होता है।

केसर की खेती कंद से की जाती है। 6 से सात सेंटीमीटर गहरे गड्ढे में कंद को बोया जाता है। कंद लगाने के 15 दिन बाद हल्की सिंचाई की जाती है। यह फसल ज्यादा से ज्यादा चार महीने की ही होती है। एक हेक्टेयर में दो किलो तक सूखे फूल मिलते हैं। अक्टूबर के महीने में फूल निकलने लगते हैं। एक बार रोपने के बाद कई साल तक इससे फसल मिलती रहती है। लगभग 150 केसर के फूलों से पुंकेसर निकालने के बाद एक ग्राम केसर मिलता है। इसकी पैदावार बेहद कम होती है।