–डॉ.सुरेश पाण्डेय, डॉ. विदुषी शर्मा
नेत्र चिकित्सक, सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा
विश्व मधुमेह दिवस हर वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मधुमेह के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। वर्ष 2025 की थीम “जीवन के विभिन्न चरणों में मधुमेह” हमें यह संदेश देती है कि मधुमेह केवल वृद्धावस्था की बीमारी नहीं, बल्कि यह जीवन के हर चरण को प्रभावित कर सकती है, इसलिए समय पर मधुमेह पहचान, रोकथाम और प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है।
मधुमेह आज 21वीं सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, वर्तमान में विश्वभर में 54 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से प्रभावित हैं और भारत में इसकी संख्या लगभग 8 करोड़ है।
अनुमान है कि वर्ष 2045 तक यह संख्या 12 करोड़ से भी अधिक हो जाएगी। भारत में हर छठा मधुमेह रोगी पाया जाता है, और चिंताजनक बात यह है कि देश में मधुमेह के मामले विकसित देशों की तुलना में लगभग दस वर्ष पहले दिखाई देने लगे हैं।
सबसे गंभीर तथ्य यह है कि मधुमेह से पीड़ित दो में से एक व्यक्ति को यह तक पता नहीं होता कि वह इस रोग से ग्रसित है। जब तक रोग का पता चलता है, तब तक शरीर में अनेक जटिलताएं विकसित हो चुकी होती हैं।
बदलती जीवनशैली, तनाव, असंतुलित खानपान, और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने मधुमेह को महामारी का रूप दे दिया है। आज का युवा वर्ग देर रात तक जागने, जंक फूड के सेवन, और मोबाइल-लैपटॉप की दुनिया में सीमित रहकर अपने स्वास्थ्य से समझौता कर रहा है।
वर्क फ्रॉम होम कल्चर, तनावपूर्ण दिनचर्या और व्यायाम की कमी ने मधुमेह के खतरे को और बढ़ाया है। देर रात भोजन करना, सुबह का नाश्ता छोड़ना, मीठे पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन और अनियमित दिनचर्या शरीर में इंसुलिन संतुलन को बिगाड़ देती है। शोध बताते हैं कि तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर भी बढ़ जाता है।
मधुमेह का असर केवल रक्त शर्करा के स्तर तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह आंखों, हृदय, किडनी, मस्तिष्क और पैरों पर भी गहरा प्रभाव डालता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी मधुमेह रोगियों में अंधत्व का प्रमुख कारण है, जिसमे आंख के पर्दे की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्तस्त्राव होने लगता है।
मधुमेह रोगियों में अंधता का खतरा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में लगभग 25 गुना अधिक होता है। इससे बचाव के लिए हर मधुमेह रोगी को वर्ष में कम से कम दो बार दवा डालकर आंखों की विशेष जांच (रेटिना टेस्ट) करानी चाहिए।
मधुमेह के कारण हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है क्योंकि यह रक्तवाहिनियों को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, किडनी फेल्योर का जोखिम भी अत्यधिक बढ़ता है। पैरों में रक्त संचार कम होने से घाव भरने में देरी होती है, जिससे अल्सर या गैंग्रीन जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं और गंभीर मामलों में पैर काटने तक की नौबत आ सकती है।
मधुमेह को रोकने और नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव का उचित प्रबंधन मधुमेह से बचाव की कुंजी हैं। हमें शुगर और कैलोरी से भरपूर जंक फूड से परहेज कर फाइबर, फल, और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाना चाहिए।
प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम, तेज चाल में चलना या योग करना रक्त में शुगर स्तर को नियंत्रित रखता है और वजन को संतुलित बनाए रखता है। पर्याप्त नींद और नियमित दिनचर्या भी शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारती है।
मधुमेह के शुरुआती लक्षणों की पहचान समय रहते करना बहुत जरूरी है। 40 वर्ष की आयु के बाद वर्ष में कम से कम दो बार ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। साथ ही हृदय, किडनी और आंखों की नियमित जांच भी आवश्यक है ताकि किसी जटिलता का समय रहते पता चल सके। मधुमेह का सफल प्रबंधन केवल दवाओं से नहीं, बल्कि आत्मनियंत्रण, अनुशासन और सकारात्मक दृष्टिकोण से संभव है।
मधुमेह केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। लंबे समय तक चलने वाली बीमारी के कारण व्यक्ति में तनाव, अवसाद और निराशा की भावना उत्पन्न हो सकती है।
इसलिए रोगियों को परिवार और समाज से भावनात्मक सहयोग मिलना उतना ही जरूरी है जितना चिकित्सकीय उपचार। योग, ध्यान, और रचनात्मक गतिविधियों में भागीदारी मानसिक शांति प्रदान करती है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।
आज भारत को “डायबिटिक कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” कहा जाने लगा है, लेकिन सामूहिक प्रयासों से इस स्थिति को बदला जा सकता है। चिकित्सकों, सरकार, गैर सरकारी संगठनों और समाज के हर वर्ग को मिलकर इस चुनौती से निपटना होगा।
स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर नियमित हेल्थ चेकअप, स्वस्थ खानपान को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम और “एक्सरसाइज एवरी डे” जैसी पहलें इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं।
विश्व मधुमेह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि यह बीमारी केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि जीवनशैली की चेतावनी है। यदि हम अपने खानपान, नींद, तनाव और शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान दें तो मधुमेह को नियंत्रित करना और इससे बचाव करना पूरी तरह संभव है।
आइए, इस वर्ष की थीम “जीवन के विभिन्न चरणों में मधुमेह” को सार्थक बनाते हुए स्वस्थ और जागरूक समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं। समय रहते सावधानी और सजगता अपनाकर हम न केवल स्वयं को, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी मधुमेह के दुष्प्रभावों से बचा सकते हैं।

