नई दिल्ली। खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल- अरहर (तुवर) का उत्पादन इस बार कुछ कम होने की संभावना है क्योंकि एक तो इसके बिजाई क्षेत्र में थोड़ी कमी आई है और दूसरे कुछ इलाकों में बाढ़- वर्षा से फसल को नुकसान होने की आशंका भी है।
वैसे तुवर एक लम्बी अवधि की फसल है जिसकी परिपक्वता अवधि छह से आठ माह की होती है इसलिए आगामी समय में यदि मौसम की हालत अनुकूल रही तो उपज दर में सुधार के माध्यम से कुल उत्पादन थोड़ा बेहतर हो सकता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर तुवर का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 45.71 लाख हेक्टेयर से 52 हजार हेक्टेयर घटकर इस बार 45.19 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। कुछ राज्यों में इसकी बिजाई बढ़ी है जबकि कुछ अन्य प्रांतों में रकबा घट गया है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान तुवर का रकबा महाराष्ट्र में 12.18 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 12.20 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.91 लाख हेक्टेयर,
राजस्थान में 3 हजार हेक्टेयर से उछलकर 15 हजार हेक्टेयर, आंध्र प्रदेश में 2.06 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.23 लाख हेक्टेयर तथा तेलंगाना में 1.92 लाख एकड़ से सुधरकर 1.93 लाख एकड़ पर पहुंचा मगर सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- कर्नाटक में बिजाई क्षेत्र 15.42 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 13.01 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
इसके अलावा तुवर का उत्पादन क्षेत्र मध्य प्रदेश में 3 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.36 लाख हेक्टेयर तथा उत्तर प्रदेश में क्षेत्रफल 5 प्रतिशत बढ़कर 3.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात जैसे राज्यों में खेतों में जल भराव एवं बाढ़ के कारण तुवर की फसल को नुकसान होने की सूचना है। फसल को थोड़ी-बहुत क्षति मध्य प्रदेश में भी हुई है।
इसे देखते हुए कुछ समीक्षकों का मानना है कि 2025-26 सीजन के दौरान तुवर का घरेलू उत्पादन घटकर 30 लाख टन के आसपास अटक सकता है। सरकार ने 2024-25 में 34 लाख टन तुवर का उत्पादन आंका था।

