कोटा। Student Suicide Case: शहर में सुसाइड का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को एमबीबीएस के एक स्टूडेंट ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। सुसाइड करने वाले एमबीबीएस छात्र ने माता-पिता के लिए एक सुसाइड नोट भी लिखा है। सुसाइड नोट में मृतक छात्र ने माता-पिता के सपनों को पूरा ना कर पाने की बात कही है।
मृतक छात्र सुनील बेरवा बस्सी का निवासी था जो कोटा में रहकर एमबीबीएस में फाइनल ईयर में पढ़ाई कर रहा था। पुलिस के मुताबिक छात्र साल 2019 से ही कोटा में रह रहा था। साथी छात्रों द्वारा सुसाइड की जानकारी महावीर नगर पुलिस ने छात्र के परिजनों को दे दी है। जिनके कोटा पहुंचने के बाद छात्र के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।
घटना को लेकर जानकारी देते हुए एएसआई मोहन लाल ने बताया कि छात्र जब बुधवार को किसी को दिखाई नहीं दिया तो देर रात को कुछ लड़कों ने उसके कमरे में जाकर देखा तो छात्र फंदे से लटका हुआ मिला। इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी गई।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया। छात्र के कमरे की तलाशी ली गई तो उसमें एक सुसाइड नोट मिला। जिसमें उसने माता-पिता के सपने को पूरा नहीं कर पाने की बात लिखी है। छात्र ने सुसाइड नोट में अपने परिजनों से माफी भी मांगी है। छात्र के फोन डिटेल्स और उसके दोस्तों से भी पुलिस जानकारी जुटा रही है।
आपको बता दें कि साल 2025 में कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले कई छात्रों ने मानसिक तनाव के चलते सुसाइड किया है। अधिकतर छात्रों के सुसाइड के पीछे पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव सामने आया है। छात्रों को सुसाइड से रोकने के लिए प्रशासन अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रहा है। साथ ही जिला कलेक्टर डॉक्टर रविंद्र गोस्वामी भी छात्रों के बीच पहुंचकर उनको मानसिक तनाव से दूर रखने के लिए अलग-अलग टिप्स भी दे रहे हैं।
पिता ने लगाया कॉलेज प्रशासन पर आरोप
इस सुसाइड के पीछे की असली कहानी अब सामने आई है। मामले में मृतक छात्र के परिजनों ने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मोर्चेरी में अपने बेटे का शव लेने पहुंचे छात्र सुनील के पिता कजोड़मल ने बताया कि नीट परिक्षा पास करने के बाद सुनील ने साल 2019 में कोटा मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था। लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उसे पहली परिक्षा में ही फेल कर दिया। फेल होने के बाद राजस्थान सेहत विज्ञान विश्वविद्यालय में केस दायर कर कॉपी की जांच करवाई थी। करीब 8 महीने पर बाद दोबारा जारी हुए रिजल्ट में उसे पास कर दिया गया।
इसी तरह दूसरे साल की परीक्षा पास करने के बाद जब उसने तीसरे साल की एग्जाम दिया तो उसे पहली और दूसरी एग्जाम के लिए डिबार कर दिया गया और एग्जाम में नहीं बैठने दिया गया। यहां तक की उसे करीब डेढ़ साल के लिए कॉलेज से भी बाहर कर दिया। पिता ने बताया कि इन सब वजहों से डिप्रेशन में आ गया और उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

