Shrimad Bhagwat: ईश्वर की शरण में जाने से ही मनुष्य का कल्याण संभव: पं. श्रीकांत

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कोटा। Shrimad Bhagwat: पं. श्रीकांत शर्मा कोलकाता वालों के द्वारा श्री माहेश्वरी भवन, झालावाड़ रोड पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन गुरुवार को जड़भरत चरित्र एवं प्रहलाद चरित्र के प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया गया।

व्यासपीठ पर विराजमान पं. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि ईश्वर की शरण में जाने से ही मनुष्य का कल्याण संभव है, लेकिन मानव सत्य को भूलकर मोह माया के जाल में फंसता जा रहा है। इससे वह अपने मार्ग से भ्रमित हो रहा है।

भक्त प्रह्लाद ने संसार को यह संदेश दिया था कि नारायण की भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। हिरण्यकश्यपु ने भक्त प्रह्लाद को नारायण की भक्ति से रोकने के लिए लाखों जतन किए, लेकिन वे उनका रास्ता नहीं रोक सके।

उन्होंने कहा कि राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रह्लाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी। प्रह्लाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया।

लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद की बात को नहीं माना। ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संहार किया गया। उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। आयोजक पुरुषोत्तम खण्डेलवाल तथा प्रभा खण्डेलवाल ने बताया कि कथा 6 जनवरी तक प्रतिदिन 2 से 6 बजे तक आयोजित की जा रही है।