Relationship Seminar: पति-पत्नी के रिश्तों में बराबरी नहीं सामंजस्य होना चाहिए

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“रिश्ते वहीं सोच नई” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों दंपतियों ने लिया भाग

कोटा। Relationship Seminar: रिश्तों में समरसता, संवाद और समझ की नई सोच को लेकर अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा की प्रतिष्ठित फ्लैगशिप योजना “चेतना लहर अभियान” एवं “विवाह परामर्श समिति” के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को राष्ट्रीय रिलेशनशिप सेमिनार एवं ट्रेनर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। “रिश्ते वहीं सोच नई” विषय पर आयोजित कार्यक्रम जवाहर नगर स्थित एक कोचिंग संस्थान में ​आयोजित किया गया।

चेतना शिविर राष्ट्रीय प्रभारी आशा माहेश्वरी ने बताया कि यह आयोजन विवाह योग्य युवक-युवतियों, नवविवाहित दंपतियों और विवाह के एक दशक पूर्ण कर चुके अनुभवी दंपतियों को रिश्तों में सामंजस्य, संवाद कौशल और भावनात्मक परिपक्वता का प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। पश्चिमांचल उपाध्यक्ष मधु बाहेती ने मंच संचालन किया। स्वागत भाषण पूर्वी राजस्थान प्रादेशिक महासभा के अध्यक्ष महेश अजमेरा ने दिया।

पति-पत्नी का रिश्ता नमक के समान
सेमिनार में विशेषज्ञों ने बताया कि पति-पत्नी का रिश्ता नमक के समान होता है। जिस प्रकार नमक दिखाई नहीं देता, परंतु भोजन में इसकी अनुपस्थिति पूरे स्वाद को खराब कर देती है। उसी प्रकार पति-पत्नी के जीवन में एक-दूसरे की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। कई समस्याएं और परेशानियां एक साथ रहते हुए कब हल हो जाती हैं, पता ही नहीं चलता।

कार्यक्रम में दंपतियों से जाना गया कि मतभेद क्यों होते हैं और उन्हें दूर करने के उपायों को मंच से समझाया गया। विशेषज्ञों ने विवाह को विशिष्ट वाह में रूपांतरित करते हुए दायित्व बोध कराया। उन्होंने कहा कि संवाद ऐसा हो कि गलत बात भी सही ढंग से समझाई जा सके। रिश्तों में दृष्टिकोण को हावी नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि रिश्ता दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण है।

भारतीय संस्कृति का संदेश
सेमिनार का प्रारंभ अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन और आध्यात्मिक प्रशिक्षक रमेश परतानी ने भारतीय संस्कृति व समझ से किया। उन्होंने ओम की ध्वनि का अर्थ व महत्व से भारतीय संस्कृति व समझ को बताया। मनुष्य की अंधकार, रुकावट व अहंकार को रेखांकित करते हुए उन्होंने पति-पत्नी के स्वभाव, आपसी समझ, आपसी स्वीकारिता, प्रेम की जीवन में मात्रा, उनके स्वभाव, क्वालिटी टाइम के आधार पर प्रश्नावली के माध्यम से 1 से 10 अंक देकर उनका एक-दूसरे से परिचय कराया।

रमेश परतानी ने हॉल बेन थ्योरी के आधार पर बताया कि पुरुष और महिलाएं अलग-अलग तरीके से सोचते हैं। क्योंकि उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और कभी-कभी जैविक अनुभव भिन्न होते हैं। पुरुषों को आमतौर पर तर्कशील, निर्णायक और बाहरी दुनिया से जुड़ा हुआ माना जाता है। जबकि महिलाओं को संवेदनशील, सहयोगी और घरेलू भूमिकाओं में देखा जाता है।

विशेषज्ञों ने दिए संबंधों के सूत्र
पति व पत्नी के रिश्तों में संबद्धता व सामंजस्य के बारे में जीवन कौशल विशेषज्ञ राजेश चांडक ने विस्तार से बताया। व्यक्तित्व विकास विशेषज्ञ अनिल जुगल किशोर राठी व रिलेशनशिप काउंसलर एवं पेरेंटिंग कोच अनिता माहेश्वरी (मुंबई) ने उपस्थित दंपतियों को आपसी गठबंधन व स्वीकृति पर समझाया। उन्होंने विवाह के लिए उत्तम आयु पुरुष की 25 वर्ष व महिला की 22 वर्ष बताई तथा प्रसूति के लिए 26 वर्ष सर्वोत्तम बताया। उन्होंने लाइफ पार्टनर को क्वालिटी व क्वांटिटी समय देने की बात कही। पहले से उसके लिए मैप तैयार न रखें क्योंकि अपेक्षाएं बोझ बढ़ा देती हैं।

व्यक्तित्व विकास प्रभारी डॉ. नम्रता बियाणी ने कहा कि पति-पत्नी के रिश्तों में बराबरी नहीं सामंजस्य होना चाहिए। जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करें। अपनी भावनाओं को साझा करें। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशीला काबरा ने सुधार नहीं स्वीकार, भिन्नता व स्वाभाविकता के बारे में समझाया।

वैवाहिक संस्कृति की दिशा में एक सशक्त कदम
राजेश कृष्ण बिरला ने नई सोच से नए रिश्ते कायम करने की आवश्यकता पर बल दिया। संदीप काबरा ने कहा कि जीवन की प्राथमिकता पैसा नहीं, बल्कि संतोष होना चाहिए। जीवन में योग शिविर में जो स्वास्थ्य लाभ बढ़ाना होता है, वैसे ही आप सभी का यहां आना अपने दांपत्य जीवन की खुशियों को बढ़ाना है। गोविंद माहेश्वरी ने अपने सुरीले अंदाज में गीतों से अपनी बात प्रारंभ करते हुए कहा कि महासभा का यह प्रयास समाज में सकारात्मक और संतुलित वैवाहिक संस्कृति की दिशा में एक सशक्त कदम है।

आयोजन में इनका रहा सहयोग
इस आयोजन को सफल बनाने में पूर्वी राजस्थान प्रादेशिक महासभा के अध्यक्ष महेश अजमेरा, समाज मंत्री बिट्ठलदास मूंदड़ा, उपाध्यक्ष नंदकिशोर काल्या, कोषाध्यक्ष राजेंद्र शारदा, के.जी. जाखेटिया, सुरेश काबरा, प्रमोद कुमार भंडारी, घनश्याम लाठी, प्रीति राठी, सरिता मोहता, अविनाश अजमेरा, ओम गट्टानी, ऋतु मूंदड़ा सहित अनेक कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही।