Red Chilli: भाव में गिरावट से इस बार लाल मिर्च का बिजाई क्षेत्र घटने की संभावना

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हैदराबाद। अत्यन्त विशाल बकाया स्टॉक मौजूद रहने तथा बाजार भाव नरम होने से चालू खरीफ सीजन के दौरान लालमिर्च के घरेलू उत्पादन क्षेत्र में 35-40 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है। प्रमुख उत्पादक राज्यों के कई क्षेत्रों में किसान लालमिर्च के बजाए मक्का, दलहन एवं कपास आदि की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।

गुंटूर (आंध्र प्रदेश) स्थित लालमिर्च निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष लालमिर्च की बिजाई कम क्षेत्रफल में होगी। फिलहाल इसका रकबा 20 प्रतिशत पीछे चल रहा है लेकिन स्पष्ट तस्वीर मध्य अगस्त तक सामने आएगी।

चूंकि बांधों-जलाशयों में पानी का अच्छा स्टॉक मौजूद है इसलिए बिजाई की प्रकिया सितम्बर तक जारी रह सकती है। अध्यक्ष के मुताबिक पिछले सीजन में लालमिर्च का शानदार घरेलू उत्पादन हुआ था मगर इसकी घरेलू एवं निर्यात मांग उत्साहवर्धक नहीं रही।

लालमिर्च का बकाया स्टॉक बढ़कर लगभग 2.20 करोड़ बोरी के उच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना से इसकी कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। केवल आंध्र प्रदेश में ही इसका स्टॉक एक करोड़ (100 लाख) बोरी के आसपास बताया जा रहा है जबकि कर्नाटक में लगभग 70 लाख बोरी एवं तेलंगाना में करीब 50-55 लाख बोरी का स्टॉक मौजूद होने का अनुमान है। इससे बाजार दबा हुआ है।

इस बार लालमिर्च के बीज की बिक्री में काफी गिरावट देखी जा रही है। एक अग्रणी बीज विक्रेता कम्पनी के अनुसार कमजोर बाजार मूल्य के कारण बीज की बिक्री करीब 35 प्रतिशत घट गई है।

कर्नाटक में ब्यादगी एवं डब्बी किस्म की लालमिर्च की बीज की बिक्री में 40 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में तेजा वैरायटी के बीज का कारोबार 20 प्रतिशत कम हुआ है। अन्य श्रेणियों की लालमिर्च के बीज की बिक्री में 30-35 प्रतिशत की कमी आई है।

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान लालमिर्च के उत्पादन क्षेत्र में कर्नाटक में 45 प्रतिशत, तेलंगाना में 40 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में भी 40 प्रतिशत एवं आंध्र प्रदेश में 35 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।

पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर लालमिर्च का कुल उत्पादन क्षेत्र सुधरकर 13 लाख एकड़ पर पहुंच गया था जो चालू वर्ष में 35-40 प्रतिशत घटकर 9.00-9.50 लाख एकड़ पर सिमट जाने का अनुमान है।

जुलाई 2025 के अंत तक उत्पादक राज्यों के कोल्ड स्टोरेज में करीब 2.50 करोड़ बोरी (900 मिलियन किलो) लालमिर्च का स्टॉक मौजूद था जो गत वर्ष की इसी तिथि को उपलब्ध स्टॉक 1.50 करोड़ बोरी (500 मिलियन किलो) से बहुत अधिक है। एक कारोबारी के अनुसार कर्नाटक में लालमिर्च का क्षेत्रफल 20-25 प्रतिशत घट सकता है। ब्यादगी का रकबा ज्यादा घटेगा।