गुंटूर। Red Chilli Price: दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में नई-पुरानी लालमिर्च की जोरदार आवक हो रही है जबकि उसके अनुरूप खरीदारी नहीं होने से कीमतों में नरमी का माहौल देखा जा रहा है।
स्थानीय डीलर्स- स्टॉकिस्टों तथा रियायती व्यापारियों के साथ-साथ निर्यातकों की मांग भी सुस्त बनी हुई है। उम्मीद की जा रही थी कि मध्य जनवरी के बाद चीन, बांग्ला देश एवं मलेशिया आदि में लालमिर्च की अच्छी मांग निकलेगी जिससे उत्पादक मंडियों में घटती कीमतों पर काफी हद तक ब्रेक लग जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हालांकि इन देशों में भारतीय लालमिर्च का निर्यात हो रहा है मगर इसकी मात्रा कम है। आगामी समय में शिपमेंट की गति तेज हो सकती है। आंध्र प्रदेश की बेंचमार्क गुंटूर मंडी में लालमिर्च की दैनिक आवक बढ़ते हुए 1.25 लाख बोरी पर पहुंच गई है जबकि इसके मुकाबले मांग कमजोर है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार यद्यपि 2023-24 सीजन की तुलना में 2024-25 सीजन के दौरान लालमिर्च के बिजाई क्षेत्र में कुछ कमी आई लेकिन अनुकूल मौसम से उपज दर में सुधार आने के कारण कुल उत्पादन में ज्यादा गिरावट आने की संभावना नहीं है।
उधर तेलंगाना के वारंगल एवं खम्माम सहित अन्य उत्पादक केन्द्रों में लालमिर्च की जोरदार आवक होने लगी है। थोक मंडी भाव नीचे होने के बावजूद उत्पादक अपनी लालमिर्च की बिक्री में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं क्योंकि उन्हें आगामी समय में इसका दाम और भी घटने की आशंका है। कर्नाटक में भी नई फसल की आवक से मंडियां शांत हो गई हैं।
उत्तरी भारत में जाड़े का मौसम समाप्ति की ओर है और तापमान बढ़ने लगा है। इससे लालमिर्च का कारोबार सुस्त पड़ गया है। वैसे भी घटते भाव को देखते हुए खरीदार सावधान हो गए हैं और बाजार के स्थिर होने का इंतजार करने लगे हैं। तेलंगाना के उत्पादक सरकार से 20,000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से लालमिर्च खरीदने की मांग कर रहे है। अच्छी क्वालिटी की लालमिर्च का दाम भी गिरकर 13,000/14,000 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है।

