नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक 4 जून 2019 से मुंबई में शुरू होगी। 6 जून को बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा होगी। जानकारों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट में कटौती का तोहफा दे सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह लगातार तीसरा मौका होगा, जब आरबीआई रेपो रेट में कटौती करेगा। इससे ब्याज दरों में भी कमी आएगी।
हाल ही में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा था कि अर्थव्यवस्था की मंदी को दूर करने के लिए आरबीआई को 25 बेसिस प्वाइंट या इससे ज्यादा बड़े रेपो कट की आवश्यकता है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि आरबीआई को अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज दरों में कमी करने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि प्रोडक्शन में सुधार, कंज्यूमर गुड्स और नॉन ड्यूरेबल सामान की बिक्री बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की आवश्यकता है। बनर्जी का कहना है कि इस समय महंगाई दर आरबीआई के चार फीसदी के लक्ष्य से नीचे चल रही है। ऐसे में रेपो रेट में कटौती के लिए यह काफी बेहतर समय है।
आरबीआई के अनुकूल है माहौल
कोटक महिंद्रा बैंक की कंज्यूमर बैंकिंग प्रेसीडेंट शांति इकमबरम का कहना है कि रेपो रेट में कटौती के लिए आरबीआई के पास इस समय बेहतर माहौल है। ऐसे में तरलता बढ़ाने के उपाय और रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कर सकते हैं। शांति ने रेपो रेट में 25 से 50 बेसिस प्वाइंट में कमी की उम्मीद जताई है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के कार्तिक श्रीनिवासन का कहना है जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट से पहले आरबीआई वेट एंड वॉच की नीति अपना सकता है। ऐसे में रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद नहीं है। आपको बता दें कि कृषि और निर्माण क्षेत्र के धीमे प्रदर्शन के कारण वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पांच साल के निम्नतम स्तर 5.8 फीसदी पर आ गई है।

