नई दिल्ली। भारतीय किसान रबी सीजन की सबसे ज़रूरी तिलहन फसल सरसों की खेती को लेकर बहुत जोश दिखा रहे हैं, क्योंकि मई से ही इसका होलसेल मार्केट प्राइस सरकारी सपोर्ट प्राइस से ज़्यादा रहा है। किसानों को अच्छा रिटर्न मिल रहा है।
सरसों तेल और खली के ऊंचे दामों की वजह से इस बार क्रशर और प्रोसेसर किसानों से ऊंचे दामों पर सरसों खरीदने में हिचकिचा नहीं रहे हैं। सरसों DOC की चीन से मजबूत मांग बनी हुई है। हालांकि, ऊंचे दामों पर कमजोर मांग की वजह से 15-21 नवंबर के हफ्ते में कई बाजारों में सरसों के दाम 100-150 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए। वहीं, कुछ इलाकों में दाम ₹50-100 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ भी गए।
42% कंडीशन सरसों: इस हफ़्ते के दौरान, दिल्ली में 42% कंडीशन वाली सरसों का दाम 100 रुपये गिरकर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जबकि जयपुर में यह 50 रुपये बढ़कर 7,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। गंगानगर में नॉर्मल एवरेज क्वालिटी वाली सरसों का दाम 6,880 रुपये से गिरकर 6,740 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।
हालांकि आज भरतपुर और अलवर में सरसों के दाम में 55 रुपये और 100 रुपये की तेजी आई, लेकिन कोटा में दाम 100 रुपये गिर गए। इस बीच, धनेरा मंडी में दाम में 225 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट आई, जबकि हरियाणा के सिरसा में भी दाम में 100 रुपये की गिरावट आई। मध्य प्रदेश में 50 रुपये का सुधार देखा गया, जबकि उत्तर प्रदेश की हापुड़ और आगरा मंडियों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
सरसों का तेल: सरसों तेल की कीमतें या तो स्थिर रहीं या 1-2 रुपये प्रति kg कम हुईं। इसके कारोबार की तीव्रता कम हो गई। दिल्ली में एक्सपेलर तेल की कीमत 1460 रुपये प्रति 10 kg के पिछले लेवल पर बनी रही, और गंगानगर में कच्चे सरसों तेल की कीमत 20 रुपये घटकर 1460 रुपये प्रति 10 kg हो गई। बीकानेर में एक्सपेलर तेल में 15 रुपये का सुधार हुआ।
ऑफ-सीजन सप्लाई की वजह से मार्केट में सरसों की आवक कम हो रही है। अगली नई फसल अगले साल फरवरी-मार्च में आनी शुरू होगी और इस दौरान डिमांड को पूरा करने के लिए देश में काफी स्टॉक मौजूद रहेगा। सरसों खली की ट्रेडिंग कम होने की वजह से कीमतों में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है।

