नई दिल्ली। त्यौहारी अवकाश के कारण 18-24 अक्टूबर वाले सप्ताह के दौरान महज 2-3 दिन ही सरसों का बाजार खुला और उसमें कारोबार की गति काफी सुस्त रही। अधिकांश मंडियों में सरसों का दाम पिछले स्तर पर पड़ा रहा जबकि कुछ मंडियों में इसमें सीमित उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया
42% कंडीशन सरसों
42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का भाव दिल्ली में 6900 रुपए एवं जयपुर में 7175 रुपए प्रति क्विंटल पर स्थिर रहा। सामान्य औसत क्वालिटी वाली सरसों की कीमत भी गुजरात, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में पुराने स्तर पर बरकरार रही मगर हरियाणा की बरवाला एवं हिसार मंडी में इसमें क्रमशः 50 रुपए एवं 100 रुपए प्रति क्विटल की तेजी रही। दूसरी ओर चरखी दादरी में भाव 50 रुपए गिरकर 7100 रुपए प्रति क्विटल पर आ गया। इसी तरह सरसों के दाम में राजस्थान के भरतपुर में 95 रुपए एवं खैरथल में 25 रुपए प्रति क्विटल की नरमी रही।
सरसों तेल
लम्बे अवकाश एवं कमजोर मांग के कारण सरसों तेल एक्सपेलर तथा कच्ची घानी के दाम में 10-20 रुपए प्रति 10 किलो की गिरावट देखी गई। दिल्ली में एक्सपेलर का भाव 5 रुपए फिसलकर 1455 रुपए तथा गंगानगर में 20 रुपए घटकर 1430 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया। भरतपुर में भी 20 रुपए की नरमी रही। वहां कच्ची घानी सरसों तेल का दाम भी 10 रुपए गिरकर 1480 रुपए प्रति 10 किलो रह गया।
सरसों खल (डीओसी)
सरसों खल एवं डीओसी में कोई खास व्यापार नहीं हुआ जिससे कीमतों में स्थिरता देखी गई। भरतपुर में इसका भाव 40 रुपए गिरकर 2710 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। व्यापारियों को अगले सप्ताह से कारोबार बेहतर होने का भरोसा है।
बिजाई
मंडियों में सरसों की आवक कम हुई मगर खेतों में इसकी बिजाई की गति तेज होने लगी है। इस बार ऊंचे मंडी भाव से किसानों को आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य की प्राप्ति हुई है जिससे सरसों की खेती में उसका उत्साह बढ़ने की उम्मीद है। इससे बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि संभव हो सकती है।

