Mustard: मिलर्स की कमजोर खरीदारी से सरसों की कीमतों में भारी गिरावट

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नई दिल्ली।Mustard Price: थोक मंडियों में कम आवक और सरकारी एजेंसियों की सीमित बिकवाली के कारण सरसों के दाम पहले तो तेजी से बढ़े थे और इसके तेल के दाम भी बहुत ऊंचे स्तर पर पहुँच गए थे, लेकिन 23-29 अगस्त वाले हफ्ते में इसमें 100 रुपये से 300 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट दर्ज की गई। हालाँकि, इस गिरावट के बावजूद सरसों का दाम एमएसपी से काफी ऊँचा बना रहा।

समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का भाव दिल्ली में 100 रुपये घटकर 7100 रुपये प्रति क्विंटल और जयपुर में 250 रुपये घटकर 7200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।

इसी प्रकार, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के प्रमुख बाजारों में सामान्य औसत गुणवत्ता वाली सरसों के भाव में 100-200 रुपये प्रति क्विंटल की नरमी आई। बूंदी में इसका भाव 300 रुपये घटकर 7200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।

हरियाणा के हिसार और चरखी दादरी, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के भरतपुर और खैरथल में सरसों के भाव में 200 रुपये प्रति क्विंटल और कोटा व बूंदी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। उत्तर प्रदेश के आगरा में भी सरसों के भाव 275 रुपये घटकर 7650/7800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

सरसों का तेल
सरसों की कीमतों में आई इस भारी गिरावट के कारण एक्सपेलर और कच्ची घानी सरसों तेल के दाम में भी स्वाभाविक रूप से काफी गिरावट आई। दिल्ली में एक्सपेलर का भाव 50 रुपये घटकर 1510 रुपये प्रति 10 किलो और चरखी दादरी में 83 रुपये घटकर 1512 रुपये प्रति 10 किलो रह गया।

जयपुर में कच्ची घानी तेल का भाव 60 रुपये घटकर 35 रुपये प्रति 10 किलो रह गया। अलवर में भी भाव 50 रुपये कमजोर हुआ जबकि आगरा में 40 रुपये और कोलकाता में 30 रुपये की गिरावट रही। प्रमुख थोक मंडियों में सरसों की आपूर्ति सीमित होती जा रही है। नैफेड और हाफेड जैसी सरकारी एजेंसियों के पास सरसों का अच्छा स्टॉक है लेकिन इसकी बिक्री कम मात्रा में हो रही है।

सरसों का केक (DOC)
सरसों खली में ऊंचे भाव पर सुस्त कारोबार देखने को मिला जिससे कीमतों पर दबाव बना हुआ है। हालाँकि पहले चीनी आयातक इसकी खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे थे, लेकिन अब इसकी माँग भी कमज़ोर पड़ गई है। आगे भी सरसों बाज़ार में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है।