नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान जीरे की कीमतों में मजबूती बनी रही। सूत्रों का कहना है कि मंडियों में आवक में कमी के अलावा निर्यातकों की लिवाली में भी सुधार देखने को मिल रहा है। जिसके चलते वायदा और हाजिर बाजार में मजबूती के साथ भाव बोले जा रहे हैं।
कारोबारियों का मानना है कि भाव में कमी के चलते अब कीमतों में और मंदी संभव नहीं है। आने वाले दिनों में जीरे की कीमतों में धीरे-धीरे तेजी जारी रहेगी। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन, तुर्की और ईरान से जीरे की आपूर्ति आने वाले दिनों में कम होने लगेगी। जिसके चलते व्यापारिक अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में भारतीय जीरे का निर्यात अच्छा रहेगा।
इस वर्ष देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जीरे के उत्पादन में कमी की खबरें हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, चीन में जीरे का उत्पादन पहले लगभग 1 लाख टन माना जा रहा था, जो प्रतिकूल मौसम के कारण वर्तमान में 70/80 हज़ार टन उत्पादन होने की सूचना है।
इसके अलावा, सीरिया में उत्पादन 9/10 हज़ार टन और तुर्की में 10/11 हज़ार टन होने का अनुमान है। अफ़ग़ानिस्तान में उत्पादन 10/12 हज़ार टन माना जा रहा है। चालू सीज़न के दौरान देश में जीरे का उत्पादन भी पिछले साल से कम रहा। पिछले साल देश में जीरे का उत्पादन लगभग 1.10 करोड़ बोरी था, जो इस साल 90/92 लाख बोरी माना जा रहा है।
कुल उत्पादन का अधिकांश हिस्सा मंडियों में आ जाने से मंडियों में जीरे की दैनिक आवक कम होने लगी है। मुख्य मंडी ऊंझा में आवक 5/6 हजार बोरी रह गई है। जबकि राजकोट और गोंडल में 500/600 बोरी आ रही है। अन्य मंडियों में भी आवक कम है।
सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में गुजरात की मंडियों में जीरे की दैनिक आवक 9/10 हजार बोरी है। इसके अलावा राजस्थान की मंडियों में कुल दैनिक आवक 5500/6000 बोरी है। राजस्थान की प्रमुख मंडियों मेडता और नागौर में आवक 1000/1200 बोरी है।
चालू सप्ताह के दौरान निर्यातकों की लिवाली के चलते निर्यात भाव में लगभग 100 रुपये प्रति 20 किलोग्राम की वृद्धि दर्ज की गई है। गौरतलब है कि चालू सप्ताह की शुरुआत में निर्यात भाव 3750 रुपये प्रति 20 किलोग्राम चल रहा था, जो सप्ताह के अंत में 3850 रुपये बोला जा रहा है। भाव में आगे और वृद्धि होने की संभावना है।
कारोबारियों का कहना है कि जीरे की मौजूदा कीमतों में मंदी के आसार नहीं हैं। आने वाले दिनों में जीरे की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ती रहेंगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगस्त महीने के दौरान जीरे की कीमतों में 5/7 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो सकती है और निर्यात भाव 4000 रुपये के स्तर को पार कर सकता है।
हाजिर बाजारों में भी कीमतें मजबूत बनी रहेंगी। कारोबारियों का कहना है कि अगर जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई तो आगामी सीजन के लिए भी उत्पादन केंद्रों पर जीरे की बुवाई के रकबे में गिरावट आ सकती है।
निर्यात: मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान जीरे का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक रहा और निर्यात 229881.67 टन रहा, जबकि वर्ष 2023-24 में निर्यात 165269.45 टन रहा। वर्ष 2023-24 में जीरे के निर्यात से प्राप्त आय 5797.23 करोड़ रुपये थी, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 6178.86 करोड़ रुपये हो गई।
वर्ष 2025-26 के प्रथम दो महीनों, अप्रैल-मई के दौरान जीरे के निर्यात में 27 प्रतिशत तथा प्राप्त आय में 32 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अप्रैल-मई-2025 में जीरे का निर्यात 45143 टन हुआ तथा प्राप्त आय 1086.31 करोड़ रुपये रही। जबकि अप्रैल-मई 2024 में जीरे का निर्यात 61448.59 टन हुआ तथा प्राप्त निर्यात आय 1608.79 करोड़ रुपये रही।

