Jeera: बेहतर स्टॉक एवं सीमित कारोबार से जीरे के भाव में तेजी की संभावना कम

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राजकोट। Jeera Price: उत्पादक केन्द्रों में जीरा का स्टॉक ऊंचा बताया जा रहा है जबकि घरेलू एवं निर्यात मांग सीमित हो गई है। कई राज्यों में मानसून की जोरदार वर्षा से आवागमन में दिक्कत हो सकती है।

गुजरात तथा राजस्थान के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस वर्ष जीरा की फसल अच्छी रही। हालांकि बिजाई कम हुई मगर अनुकूल मौसम के सहारे उपज दर में बढ़ोत्तरी हुई और क्वालिटी में भी सुधार आया।

उधर तुर्की, सीरिया, ईरान, अफगानिस्तान एवं चीन जैसे देशों में नई फसल की कटाई-तैयारी का सीजन आरंभ हो गया है जिससे आगामी समय में वैश्विक बाजार में जीरे की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने के आसार हैं।

वायदा बाजार में जीरा का भाव सटोरियों के वश में रहता है। वहां कभी तेजड़िए तो कभी मंदड़िए बाजार पर हावी हो जाते हैं जिससे कीमतों में बदलाव आता रहता है और इसके प्रभाव से हाजिर में भी दाम थोड़ा बहुत ऊपर नीचे होता रहता है।

लेकिन स्टॉक की अधिकता एवं सीमित मांग को देखते हुए जीरे के भाव में निकट भविष्य में अप्रत्याशित तेजी-मंदी का माहौल बनना मुश्किल लगता है। गुजरात की बेंचमार्क ऊंझा मंडी में 8-10 हजार बोरी जीरे की दैनिक आवक हो रही है जिससे कीमतों में काफी हद तक स्थिरता देखी जा रही है। मार्च से ही जीरे की नई फसल की जोरदार आपूर्ति शुरू हो गई थी और अब इसकी रफ्तार धीमी हो गई है।

उत्पादक बाजार के रुख को देखते हुए अपना उत्पाद उतार रहे हैं। गुजरात के सौराष्ट्र संभाग तथा राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर एवं बाड़मेर क्षेत्र में जीरा का अच्छा स्टॉक मौजूद है।जीरा रबी कालीन मसाला फसल है। इसकी बिजाई अक्टूबर में शुरू हो जाती है जो अब महज तीन माह दूर है। कीमतों में त्यौहारी सीजन के दौरान कुछ इजाफा हो सकता है जिससे किसानों को बिजाई करने का थोड़-बहुत प्रोत्साहन मिलेगा।

यदि वायदा तेज रहा तो किसानों को अच्छा दाम मिल सकता है। लेकिन यदि राजस्थान से हल्की क्वालिटी के माल का प्रवाह बढ़ा तो कीमतों में उछाल की संभावना घट जाएगी। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश से जीरा का निर्यात बढ़कर 2.30 लाख टन के करीब पहुंच गया जो 2023-24 के शिपमेंट 1.65 लाख टन से काफी अधिक रहा। इसके फलस्वरूप जीरा की निर्यात आय भी 5797 करोड़ रुपए से बढ़कर 6179 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।