राजकोट। बिजाई क्षेत्र में कुछ बढ़ोत्तरी होने तथा दोनों शीर्ष उत्पादक प्रांतों- गुजरात तथा राजस्थान में फसल की हालत बेहतर रहने से चालू खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली के घरेलू उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही है।
कुछ मंडियों में अगैती बिजाई वाली नई फसल की छिटपुट आवक आरंभ हो गई है लेकिन खरीदारों की मांग कमजोर रहने से इसकी कीमतों पर भारी दबाव देखा जा रहा है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। अगले 10-15 दिनों में जब नए माल की आपूर्ति जोर पकड़ेगी तब कीमतों में और भी नरमी आ सकती है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक 2025-26 के मार्केटिंग सीजन हेतु केन्द्र सरकार ने मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 7263 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जो 2024-25 के समर्थन मूल्य 6783 रुपए प्रति क्विंटल से 480 रुपए ज्यादा है।
लेकिन मूंगफली का थोक मंडी भाव घटकर 4500-5000 रुपए प्रति क्विंटल के निचले स्तर पर आ गया है। समझा जाता है कि फिलहाल मंडियों में खरीफ कालीन मूंगफली के 10 प्रतिशत भाग की भी आवक नहीं हुई है जबकि कीमत घटकर पिछले करीब 10 साल के निचले स्तर पर आ गई है।
यदि यह स्थिति आगे भी बरकरार रही तो सरकारी एजेंसियों को इस बार भी किसानों से एमएसपी पर रिकॉर्ड मात्रा में मूंगफली की खरीद करने के लिए विवश होना पड़ेगा। सोयाबीन का हाल भी कुछ ऐसा ही है और उसकी भी रिकॉर्ड सरकारी खरीद होने की उम्मीद है।
समीक्षकों का कहना है कि सरकार को ऐसी नीति बनाने का प्रयास करना चाहिए जिससे उद्योग-व्यापार क्षेत्र को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य या इससे ऊंचे दाम पर मूंगफली एवं सोयाबीन की खरीद का प्रोत्साहन मिल सके।
इंडोनेशिया में भारतीय मूंगफली के आयात पर रोक लगी हुई है जिसे हटवाने के लिए कोई जोरदार प्रयास नहीं किया जा रहा है जबकि वह इसका एक महत्वपूर्ण खरीदार है। इस बार मूंगफली का कुल उत्पादन क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर 47.99 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 47.65 लाख हेक्टेयर से 34 हजार हेक्टेयर ज्यादा है।
इसका क्षेत्रफल गुजरात में 19.11 लाख हेक्टेयर से उछलकर 22.02 लाख हेक्टेयर तथा राजस्थान में 8.55 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.91 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।

