नई दिल्ली। केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा अगस्त के अंत तक वार्षिक लक्ष्य का 38.1 प्रतिशत रहा। नियंत्रक महालेखाकार (सीजीए) की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में राजकोषीय घाटा 2024-25 के बजट अनुमान (बीई) का 27 प्रतिशत था।
निरपेक्ष रूप से, राजकोषीय घाटा, या सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर, 2025-26 की अप्रैल-अगस्त अवधि में 5,98,153 करोड़ रुपये था। केंद्र का अनुमान है कि 2025-26 के दौरान राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत या 15.69 लाख करोड़ रुपये होगा।
सीजीए के आंकड़ों से पता चला है कि सरकार को अगस्त 2025 तक 12.82 लाख करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों के संगत बजट अनुमान 2025-26 का 36.7 प्रतिशत) प्राप्त हुए। इसमें 8.1 लाख करोड़ रुपये का कर राजस्व (केन्द्र को शुद्ध), 4.4 लाख करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्व और 31,970 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां शामिल थीं।
सीजीए ने कहा कि अगस्त तक केंद्र सरकार द्वारा करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में राज्य सरकारों को 5.3 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। यह पिछले वर्ष की तुलना में 74,431 करोड़ रुपये अधिक है।
केंद्र का कुल व्यय 18.8 लाख करोड़ रुपये (2025-26 के संबंधित बजट अनुमान का 37.1 प्रतिशत) था। इसमें से 14.49 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते में और 4.31 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते में थे।
कुल राजस्व व्यय में से 5,28,668 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के कारण व 1,50,377 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के कारण थे। सीजीए ने कहा कि किसी वित्तीय वर्ष के दौरान मासिक खातों में दर्शाया गया राजकोषीय घाटे का आंकड़ा आवश्यक रूप से उस वर्ष के राजकोषीय घाटे का सूचक नहीं होता है, क्योंकि यह उस महीने तक गैर-ऋण प्राप्तियों और व्यय के प्रवाह के बीच अस्थायी असंतुलन से प्रभावित होता है।

