- जीएसटी से पहले के स्टॉक पर 62,000 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा
- जुलाई में 95,000 करोड़ रुपये का जीएसटी हुआ संग्रह
- कर संग्रह की तुलना में इनपुट टैक्स क्रेडिट के भारी दावे हैरान करने वाले
हैदराबाद। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से पहले के स्टॉक पर 62,000 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया गया है। यह बात सरकार के गले नहीं उतर रही है और वह इन दावों की प्रमाणिकता की जांच कर रही है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जुलाई महीने के लिए अब तक 95,000 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया गया है जबकि एक जुलाई से पहले चुकाए गए करों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट के तौर पर करीब 62,000 करोड़ रुपये का दावा किया गया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमें दावों की सच्चाई का पता लगाने की जरूरत है। जितना कर जमा हुए है उसे देखते हुए यह दावा बहुत ज्यादा है।’ नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के क्रियान्यन की अवधि के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा टीआरएएन 1 फॉर्म के जरिये किया गया है।
कंपनियों के पास इनपुट पर चुकाए गए उत्पाद शुल्क के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के वास्ते 1 जुलाई के बाद 90 दिन का समय है।
राजस्व सचिव हसमुख अढिय़ा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड जीएसटी राउंडटेबल में बुधवार को कहा था, ‘हम अब भी इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों की संख्या का मूल्यांकन कर रहे हैं। यह बहुत ज्यादा लगती है।’
जीएसटी परिषद ने कंपनियों को 1 जुलाई से पहले चुकाए गए उत्पाद कर पर शत प्रतिशत इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की अनुमति दी थी। इसके लिए उन्हें उत्पाद कर भुगतान से संबंधित बिलों को अपलोड करना था। परिषद ने साथ ही कहा था कि अगर कंपनियों के पास बिल नहीं होंगे तो उन्हें 40 फीसदी इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
4 जून को हुई परिषद की बैठक में उन वस्तुओं के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की सीमा जीएसटी देनदारी की 40 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दी गई थी जिन पर कर की दर 18 फीसदी से अधिक है।