दिल्ली बाजार/ सरसों के दाम बढ़ने से तेल-तिलहन की कीमतों में सुधार

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नयी दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और मंडियों में कम आवक की वजह से सरसों के दाम बढ़ने के कारण बृहस्पतिवार को स्थानीय तेल तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल- तिलहनों के भाव मजबूत हो गये। भारत में खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इनके आयात शुल्क को कम करने के बाद विदेशों में इन तेलों के भाव उसी अनुपात में बढ़ा दिये गये जिससे वहां मजबूती का रुख कायम हो गया और स्थानीय कारोबार पर इसका सीधा असर दिखाई दिया।

बाजार सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा कच्चे पॉम तेल के आयात शुल्क में पांच प्रतिशत कटौती करने के बाद मलेशिया एक्सचेंज सवा तीन प्रतिशत और शिकागो एक्सचेंज रात से लगभग छह प्रतिशत मजबूत हो गया। खाद्यतेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए देश में शुल्क में की गई कमी के बाद विदेशों में भाव उसी अनुपात में बढ़ गये जिससे वहां मजबूती कायम हो गई।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य में 450 रुपये क्विन्टल की कमी की गई लेकिन यह कदम बेअसर हो गया क्योंकि विदेशों में दाम उसी अनुपात में बढ़ा दिये गये। शिकागो एक्सचेंज के कल रात से छह प्रतिशत मजबूत होने से स्थानीय बाजार में सोयाबीन तेल तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।

देश में सरसों की मांग निरंतर बढ़ रही है जिसकी वजह इस तेल का मिलावट मुक्त होना है। खाद्य नियामक, एफएसएसएआई ने आठ जून से सरसों में किसी भी तेल की मिलावट पर रोक लगा दी है और इसे सुनिश्चित करने के लिए निरंतर जांच अभियान भी चला रही है। मंडियों में सरसों की आवक भी कम हो रही है। बरसात से पहले बाजार की मौजूदा 70-75 प्रतिशत की मांग को पूरा करने के लिए रोजाना करीब 3-3.5 लाख बोरी सरसों चाहिये लेकिन बाजार में सरसों की आवक रोजाना दो लाख बोरी की हो रही है।

भरतपुर मंडी में सरसों की जो रोजाना आवक लगभग दो हजार बोरी की थी वह घटकर 800-1,000 बोरी रह गई है। बरसात के मौसम में मांग 100 प्रतिशत होने के समय रोजाना मांग लगभग साढ़े चार लाख बोरी सरसों की हो जायेगी और अनुमान है कि उस वक्त मंडियों में लगभग डेढ़ लाख बोरी की ही आवक हो रही होगी।

सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड जो पिछले साल इस मौसम में दो से सवा दो लाख बोरी सरसों की बिक्री किया करती थी वह मौजूदा समय में सरसों की खरीद के लिए निविदा मंगा रही है। सरसों दाना की कमी की वजह से हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में काफी तेल पेराई मिलें बंद हो गई हैं। आगरा, सलोनी और कोटा में सरसों तिलहन का भाव 7,500 रुपये क्विन्टल से बढ़ाकर 7,550 रुपये क्विन्टल कर दिया गया।

सूत्रों ने कहा कि मांग और आपूर्ति की इस खाई को ध्यान में रखते हुए सरकार को अभी से सरसों की अगली फसल के लिए बीज का इंतजाम रखना होगा नहीं तो बिजाई के ऐन मौके पर विशेषकर छोटे किसानों को दिक्कत आ सकती है। अगर सरसों बीज का इंतजाम रहा तो अगली पैदावार दोगुना हो सकती है।

आयात शुल्क मूल्य घटाये जाने का सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों पर कोई फर्क नहीं आया क्योंकि पीछे इन तेलों के भाव बढ़ा दिये गये। इसका फायदा सिर्फ विदेशी कंपनियों को हुआ। मलेशिया एक्सचेंज में मजबूती के रुख के कारण यहां सीपीओ, पामोलीन तेल कीमतों में सुधार देखने को मिला। डीओसी की स्थानीय मांग के कारण सोयाबीन दाना और लूज के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 7,325 – 7,375 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।मूंगफली दाना – 5,445 – 5,590 रुपये।मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,350 रुपये।मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,055 – 2,185 रुपये प्रति टिन।सरसों तेल दादरी- 14,270 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,310 -2,360 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,410 – 2,510 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,000 – 17,500 रुपये।सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,600 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,350 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,300 रुपये।सीपीओ एक्स-कांडला- 10,250 रुपये।बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,750 रुपये। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,100 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 11,100 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना 7,545 – 7,595, सोयाबीन लूज 7,445 – 7,545 रुपये मक्का खल 3,800 रुपये प्रति क्विंटल।