लोड बढ़ते ही बैठा जीएसटी पोर्टल, डेडलाइन बढ़ी

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सीए मिलिंद विजयवर्गीय ने बताया कि करीब एक दर्जन अलग-अलग सेक्शन हैं, जिनमें से हर असेसी को कम से कम 4-5 भरने हैं। हर सेक्शन की अलग-अलग प्रोसेसिंग होने से किसी एक में भी एरर आते ही वह रिटर्न पेंडिंग हो जाता है।

कोटा । जीएसटी सिस्टम की असली परीक्षा शुरू होते ही उसकी खामियां बाहर आने लगी हैं। जुलाई के लिए पहली वास्तविक और विस्तृत रिटर्न जीएसटीआर-1 दाखिल करने का लोड बढ़ते ही सोमवार को कॉमन पोर्टल ने काम करना बंद कर दिया।

वैसे तो ट्रेडर और टैक्स प्रैक्टिश्नर दिनभर टेक्निकल एरर और दूसरी दिक्कतों से जूझते रहे, लेकिन शाम तक जीएसटीएन ने भारी लोड का हवाला देकर खेद जताना शुरू कर दिया। मंगलवार को इसकी आखिरी तारीख थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 10 सितंबर कर दिया गया है। अभी आधे से ज्यादा असेसी अभी इसे नहीं भर पाए हैं।

जीएसटीआर-1 के तहत पूरे महीने की आउटवर्ड सप्लाई यानी बिक्री की एक-एक डिटेल डालनी है। इसकी फाइलिंग शुक्रवार से शुरू हुई थी, लेकिन ज्यादातर असेसी के पास डेटा तैयार नहीं था। शनिवार और रविवार को छुट्टी के चलते बहुत कम लोगों ने फाइलिंग की।

सोमवार को अचानक पोर्टल पर लोड बढ़ गया। जीएसटी एक्सपर्ट गौरव गुप्ता ने बताया कि जीएसटीआर-1 की फाइलिंग तीन तरीके से हो रही है। ट्रेडर जो भी सॉफ्टवेयर यूज करते हैं, वह आउटवर्ड सप्लाई की एक फाइल बनाता जाता है, जिसे पोर्टल पर अपलोड करना होता है।

दूसरे मोड में छोटे कारोबारी अपने लॉग-इन आईडी के जरिए एक-एक इनवॉइस भर रहे हैं, जबकि कई फर्में एएसपी और एपीआई के जरिए सीधे जीएसटीएन पर डेटा पुश करती हैं। इन तीनों ही मोड में शिकायतें आ रही हैं।

गुप्ता ने कहा, ‘बिना सॉफ्टवेयर ट्रायल के लाइव सिस्टम जोखिम भरा हो सकता है और नतीजा सामने है। जुलाई और अगस्त की सभी रिटर्न्स के बीच समय नहीं होने से ज्यादातर लोड अंतिम तारीखों पर ही बढ़ेगा।’

जीएसटी का काम करने वाले सीए मिलिंद विजयवर्गीय ने बताया कि करीब एक दर्जन अलग-अलग सेक्शन हैं, जिनमें से हर असेसी को कम से कम 4-5 भरने हैं। हर सेक्शन की अलग-अलग प्रोसेसिंग होने से किसी एक में भी एरर आते ही वह रिटर्न पेंडिंग हो जाता है।

हर सेक्शन में 5-10 मिनट लगने से एक रिटर्न में एक-एक घंटा लग रहा है। पोर्टल का एसईजेड सेक्शन भी ऐक्टिवेट नहीं हो रहा है। ऐसे में जिन्होंने एसईजेड को सेल की है और उनकी टैक्स लाइबिलिटी नहीं बनती, उन्हें भी टैक्स चुकाना पड़ेगा।