कोटा में गेहूं की समर्थन मूल्य पर नहीं हुई खरीद शुरू, 1 अप्रैल से होनी थी

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कोटा। राज्य सरकार ने 1 अप्रैल से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद की घोषणा की थी। विभागों की ओर से पूरी तैयारी के दावे किए थे। लेकिन, जमीनी स्तर पर सभी दावे फेल नजर आए। कोटा में FCI की और से भामाशाह मंडी,सुल्तानपुर व इटावा में कुल 9 सेंटर लगने थे। लेकिन सिस्टम की लेटलतीफी से भामाशाह मंडी,इटावा व सुल्तानपुर में 1-1 सेंटर पर ही समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद हुई। राजफैड की ओर 35 केंद्र पर खरीद का दावा किया गया था। 35 में से केवल सांगोद इलाके में 2 केंद्र पर ही किसानों के गेहूं की तुलाई हुई।

कोटा मंडी में रोज 40 हजार क्विंटल की आवक: भामाशाह मंडी में रोज 40 हजार क्विंटल गेहूं की आवक होती है। यहां FCI द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं खरीद की जाती है। FCI की ओर से 72 टोकन जारी किए गए थे। लेकिन कांटे नहीं लगने से 14 टोकन से ही किसानों से गेहूं खरीद हो सकी। कांटे नहीं लगने से किसानों को सरकारी के बजाय व्यापारियों को गेहूं बेचने को मजबूर होना पड़ा। राजफैड की आधी-अधूरी तैयारी किसानों पर भारी पड़ी। राजफैड के 35 केंद में से 2 केंद्र पर ही खरीद हो सकी।

किसानों को डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान:भाजपा देहात जिलाध्यक्ष मुकुट नागर का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही से कोटा के किसानों को डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपए रखा है। पर्याप्त संख्या में सरकारी कांटे नहीं लगने से किसानों को खुले बाजार में व्यापारियों को 1625 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं बेचना पड़ रहा है। किसान को एक क्विंटल पर 350 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बारदाना नही पहुंचने से कांटे नही लगे: राजफैड के उप रजिस्ट्रार गोविंद लड्ढा का कहना है कि केंद्रों पर बारदाना नही पहुंचने से कांटे नही लग सके। जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त होगी। FCI के अधिकारी निपुन ने बताया कि भामाशाह मंडी में 72 टोकन जारी किए थे, पर किसान ही नहीं पहुंचे। 14 टोकन से सरकारी खरीद हुई है। मंडी में कितने कांटे लगे इसकी जानकारी नहीं है।