नई दिल्ली। सरकार ने साफ कर दिया है कि कर्मचारियों को नियोक्ता से मिलने वाले अमौद्रिक लाभों (फ्रिंज बेनिफिट) पर जीएसटी वसूला जाएगा। अलबत्ता यह देनदारी नियोक्ता की होगी।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने इस संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) की शक्ल में स्पष्टीकरण जारी किया है।
इसमें कहा गया है कि फ्रिंज बेनिफिट को वस्तु या सेवा की आपूर्ति माना जाता है। इसलिए अगर छूट के दायरे में नहीं हैं तो उन पर टैक्स अदा करना होगा।
ऐसे अमौद्रिक लाभों में दफ्तर से मिलने वाली गाड़ी, आवासीय सुविधा, कैंटीन वगैरह शामिल हैं। हालांकि, कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन, भत्ते जैसे मौद्रिक लाभों को सप्लाई का हिस्सा नहीं माना जाता।
इसलिए उन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं लगेगा। यह दीगर है कि इन पर एक सीमा के बाद कर्मचारी को पहले से ही आयकर चुकाना होता है। सरकार ने प्रश्नोत्तरी में फ्रिंज बेनिफिट पर जीएसटी के बारे में स्थिति स्पष्ट की है। कंपनियां अपने कर्मचारियों को तमाम तरह की सुविधाएं देते हैं। इन सुविधाओं पर कंपनियां काफी खर्च करती हैं।
36 लाख से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल
अब तक 36.32 लाख से ज्यादा व्यापारियों और कारोबारी यूनिटों की ओर से अपना पहला जीएसटी रिटर्न दाखिल किया जा चुका है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। वस्तु एवं सेवा कर पहली जुलाई से लागू हुआ है।
इस अधिकारी के मुताबिक राजस्व विभाग ने पहले जीएसटी रिटर्न के जरिये करीब 65,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था। जीएसटी के तहत पहला मासिक रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 25 अगस्त थी।
हालांकि ट्रांजिशनल क्रेडिट की सुविधा लेने वाले व्यवसाय 25 अगस्त तक स्वत: आकलन के आधार पर टैक्स भुगतान के बाद 28 अगस्त तक रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
सभी रिटर्न दाखिल होने के बाद ही कर संग्रह के बारे में अंतिम आंकड़ा आएगा। व्यापारियों को मासिक बिक्री रिटर्न और टैक्स का भुगतान ऑनलाइन करना होता है।