मुंबई। दुनिया की सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन लगातार अपनी कीमत का रिकॉर्ड लेवल ऊंचा कर रही है। शनिवार को पहली बार इसकी कीमत 60 हजार डॉलर के पार पहुंच गई। यानी एक बिटकॉइन की कीमत अब करीब 44 लाख रुपए (60,322 डॉलर) है। 3 महीने पहले यह 19,860 डॉलर यानी करीब 14 लाख 62 हजार रुपए प्रति यूनिट के लेवल पर थी।
दिसंबर 2017 में बिटकॉइन 19,873 डॉलर प्रति यूनिट तक पहुंची थी। तब के हिसाब से एक बिटकॉइन की कीमत करीब 13 लाख रुपए थी। मार्च, 2020 में एक बिटकॉइन की कीमत 5 हजार डॉलर थी। यानी एक साल में इसकी कीमतों में 1100% से ज्यादा इजाफा हुआ है। पिछले 24 घंटे में इसकी कीमतें 5.40% चढ़ी हैं। हालांकि, दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में भी तेजी है। इथर में करीब 6% और स्टेलर में 4% की तेजी रही।
सोने की जगह लेने का अनुमान
दुनिया की सबसे बड़ी असेट मैनेजमेंट फर्म ब्लैकरॉक (BLK) ने अनुमान जताया है कि सेफ हेवन चॉइस के तौर पर बिटकॉइन एक दिन गोल्ड की जगह ले सकता है। इसे भी बिटकॉइन की कीमतों में तेजी की वजह माना जा रहा है। छोटी क्रिप्टोकरेंसी में शुमार इथेरियम, XRP, लाइटकॉइन और स्टेलर की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से भी बिटकॉइन में तेजी आ रही है।
टेस्ला ने किया 11 हजार करोड़ रुपए का निवेश
इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने हाल में बिटक्वॉइन में निवेश किया है। कंपनी आने वाले वक्त में बिटक्वॉइन को भी पेमेंट ऑप्शन के रूप में स्वीकार करेगी। टेस्ला ने पिछले महीने अपनी इन्वेस्टमेंट पॉलिसी अपडेट की है। इसमें कंपनी ने बताया है कि वो कुछ ऑल्टरनेटिव रिजर्व एसेट्स में भी निवेश करेगी। इनमें डिजिटल एसेट्स, गोल्ड बुलियन, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड भी शामिल हैं।
इसके लिए कंपनी ने 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 11 हजार करोड़ रुपए बिटक्वॉइन में इन्वेस्ट किया है। आगे भी इस तरह के कई डिजिटल एसेट्स में निवेश किया जाएगा। ट्विटर भी अपने कर्मचारियों और वेंडर्स को बिटक्वॉइन में पेमेंट करने के बारे में सोच रहा है।