ओलावृष्टि और बारिश से अफीम की नष्ट हुई फसल देखकर रो पड़े किसान

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ओलावृष्टि और बारिश से नष्ट हुई अफीम की फसल दिखाता किसान।
  • कोटा संभाग में ओलावृष्टि, अंधड़ और बारिश ने किया भारी नुकसान
  • गेहूं आड़ा पड़ गया, चना, धनिया ने खोई चमक, गुणवत्ता प्रभावित

कोटा। हाड़ौती संभाग में गुरुवार और शुक्रवार को हुई असमय बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता आशीष मेहता तथा प्रान्त महामंत्री जगदीश कलमंडा ने बताया कि संभाग भर में गेहूं, चना, सरसों, लहसुन, प्याज और धनिया की फसल प्रभावित हुई है। झालावाड़ जिले में अफीम की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई। धनिया और चने का रंग काला पड़ गया। जिससे इनकी गुणवत्ता पूरी तरह से समाप्त हो गई है। कोटा जिले में कनवास, देवली, सांगोद, रामगंजमंडी, दीगोद, सुल्तानपुर, बूंदी जिले के हिण्डोली, झालावाड़ जिले के रायपुर, पिड़ावा, पचपहाड़ क्षैत्र में 50 से 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है। भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों ने विभिन्न क्षैत्रों में जाकर नुकसान का जायजा लिया।

कोटा जिले की कनवास और देवली क्षैत्र में गेहूं और चना को खासा नुकसान हुआ है। जिला अध्यक्ष गिरीराज चौधरी तथा तहसील अध्यक्ष अश्विनी जैन ने बताया कि बालूहेड़ा, खजूरना, ऊना, लाड़पुर, कोट बावड़ी, मोहनपुरा में करीबन 400 हेक्टेयर गेहूं और चने की सैकड़ों बीघा की फसल कटी पड़ी थी। जो बारिश और ओलावृष्टि के कारण से मिट्टी में मिल गई है। गेहूं और चने का दाना खराब हो गया और चमक खो दी है। वहीं दीगोद, सुल्तानपुर, किशोरपुरा क्षैत्र में भी जहां कटाई नहीं हुई वहां गेहूं का दाना गिर गया। जिले के रामगंजमंडी और चेचट में ओलावृष्टि से फसलें प्रभावित हुई हैं। सांगोद क्षैत्र में इन दिनों सरसों की कटाई की जा रही थी। तेज हवा के साथ अंधड़ के कारण पौधे से दाना गिरने और मिट्टी मंे मिल जाने तथा कहीं कहीं उड़ने का भी समाचार मिला है। कईं स्थानों पर अभी भी पानी भरा होने के कारण से आवागमन भी ठप्प हो गया।

भारतीय किसान संघ के राधेश्याम गुर्जर ने बताया कि झालावाड़ में अंधड़ और ओलावृष्टि ने धनिया और अफीम की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। ओलावृष्टि से पहले अफीम के डोडे में चीरा लगाया जा रहा था। जिससे डोडे का दूध तो धुल ही गया। वहीं पौधे के आड़ा पड़ने के कारण से चीरा लगाने की संभावना भी खत्म हो गई है। जिले की पचपहाड़ और पिड़ावा तहसीलों में जबर्दस्त ओलावृष्टि हुई है। इससे धनिया का रंग काला पड़ गया और उसकी गुणवत्ता पूरी तरह से समाप्त हो गई है। जिसने काश्तकारों की कमर तोड़ दी है। संभाग भर में राधेश्याम गुर्जर, मुकेश मेहर, सत्यनारायण, भैरूलाल, प्रहलाद, धर्मराज, देवीलाल समेत कईं कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर दौरा कर जानकारी प्राप्त की।

अफीम की नष्ट हुई फसल देखकर रो पड़े किसान
झालावाड़ जिले की रायपुर तहसील का गांव है काली तलाई, जहां अफीम की खेती करने वाले नरसिंह लाल दांगी की ओलावृष्टि ने कमरतोड़ दी। फसल खराबे के बारे में जानकारी देते हुए नरसिंह दांगी की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने बताया कि यहां तेज हवा तथा पानी के साथ बारीक ओले के गिरने से पूरी अफीम की फसल टूटकर आड़ी पड़ गई है। अब अफीम लेते समय डोडे से हल्का पानी निकल रहा है। नरसिंह दांगी ने रोते हुए बताया कि अब मेरी हालत गंभीर है, क्योंकि चीरा नहीं लगाता तो मैं आबकारी अधिकारी को बुलाकर पट्टा सुरक्षित रख लेता। चीरा लगने के बाद अफीम का माप पूरा देना पड़ता है। अगर ऐसी स्थिति में माप पूरा नहीं दे पाता हूं तो मेरा पट्टा निरस्त कर दिया जाएगा। यह स्थिति झालावाड जिले के विभिन्न किसानों की है। जहां अब अफीम का पट्टा निरस्त होने की तलवार किसानों के सिर पर लटक गई है।

खरीफ 2019 का मुआवजा नहीं मिला
भारतीय किसान संघ के प्रान्तीय महामंत्री जगदीश कलमंडा ने बताया कि अभी तो किसानों को खरीफ 2019 में हुए खराबे का मुआवजा ही नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से यह राशि राज्य सरकार को देने के बावजूद अभी तक किसानों के खाते में नहीं डाली गई है। जबकि इसके सर्वे और गिरदावरी से लेकर सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। केवल सरकार के आदेश के इंतजार में किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। पूर्व में प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि भी 2019 में विधानसभा में सदस्यों के द्वारा प्रश्न लगाने के बाद 1100 करोड की राशि जारी की गई थी।

प्रवक्ता आशीष मेहता ने कहा कि संभाग भर में हुए भारी नुकसान का तुरंत सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सर्वे कराकर किसानों को क्लेम देकर राहत पहंुचाई जाए। उन्होंने बताया कि संभाग भर में खराबे को लेकर तहसील स्तर पर सोमवार को ज्ञापन देकर सरकार को अवगत कराया जाएगा।